उत्तरकाशी (हि.स.)। उत्तराखंड के उत्तरकाशी की सिलक्यारा निर्माणाधीन सुरंग हादसा को रेस्क्यू ऑपरेशन का आज 15वां दिन है। आज राहत भर खबर आयी है कि हैदराबाद से जो प्लाज्मा कटर मंगाया गया था, वह वहां पर पहुंच चुका है और उसने अपने काम करना शुरू कर दिया है। इसमें टनल में विभिन्न राज्यों के 41 श्रमिक फंसे हुए हैं।
गौरतलब है कि पिछले दो दिनों से ऑगर ड्रिलिंग मशीन का कार्य बंद था। अब ऑगर ड्रिलिंग मशीन के फंसे हिस्सों को काटने के लिए ऑपरेशन शुरू कर दिया गया है। उम्मीद है कि जल्द कटिंग का कार्य पूरा होगा। इसके बाद पारंपरिक तरीके से मैनुअली खुदाई कार्य शुरू किया जायेगा।
दिल्ली से पारंपरिक सुरंग की एक्सपर्ट टीम सिलक्यारा में रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए पहुंच चुकी है। यह पारंपरिक तरीके से सीवरेज में सुरंग का काम करते हैं। बताया जा रहा कि जब प्लाज्मा कटर से कुछ घंटों के बाद सुरंग के अंदर अमेरिका की ऑगर ड्रिलिंग मशीन के फंसे हिस्सों को टुकड़ों में काट कर बाहर निकालेंगे, तब दिल्ली से आई एक्सपर्ट टीम के सदस्य अंदर घुसेंगे और पारंपरिक तरीके से मैनुअली खुदाई का काम करेंगे। इसमें लगभग 12-14 मीटर खुदाई कार्य किया जायेगा। अब श्रमिकों को इस तरह से बाहर निकालने में सफलता मिलेगी। हो सकता है कि ऐसे में रेस्क्यू टीम को वर्टिकल ड्रिलिंग की जरूरत न पड़े।
नवयुग कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर का विज्ञान उठा भरोसा, लिया बाबा बौखनाग का सहारा-
हर कोई 5 जी के युग में विज्ञान को चमत्कार मान रहा है, लेकिन नवयुग कंपनी के इंजीनियर और पदाधिकारी भी अब विज्ञान के आगे हाथ खड़े कर आस्था का सहारा लेने लगे हैं। जी हां, हम बात रहे हैं सिलक्यारा निर्माणाधीन टनल में कार्य कर रहे एनएचडीसीएल कंपनी की अंडरटेकिंग नवयुग कंपनी की है। यह कंपनी टनल का कार्य कर रही है। यह वही कंपनी है, जिसने बहुत पहले से सुरंग के मुंहाने पर बने बाबा बौखनाग के मंदिर को किनारे करते हुए अपना निर्माण कार्य शुरू कर दिया था। हालांकि हादसे के बाद उन्होंने सांकेतिक रूप से बाबा बौखनाग के मंदिर को स्थापित कर दिया था। अब जब पिछले 12 नवंबर से 41 श्रमिक टनल के अंदर फंसे हुए हैं और अमेरिका की आधुनिक तकनीकी से निर्मित ऑगर ड्रिलिंग मशीन से लेकर दुनिया भर के एक्सपर्टों ने पहाड़ के आगे घुटने टेक दिए, तब रविवार सुबह को नवयुग कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर ने बौखनाग के थान भाटिया गांव पहुंचकर बाबा से श्रमिकों को बाहर निकालने की विनती की। इस पर बाबा बौखनाग ने प्रोजेक्ट मैनेजर को आशीर्वाद देते हुए कहा है कि 3 दिन के भीतर सभी श्रमिक सुरक्षित बाहर निकलेंगे,लेकिन उन्होंने एक शर्त जरूर रखी। वह शर्त यह है कि निर्माणाधीन टनल के दोनों मुंहाने पर बाबा बौखनाग के मंदिर बनाएं जिसे प्रोजेक्ट मैनेजर ने स्वीकार कर लिया।