लखनऊ। इन दिनों सभी दल लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियां में जोर-शोर से जुटे हुए हैं। उत्तर प्रदेश में प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (सपा) भी इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इनक्लूसिव एलायंस (इंडिया) और पिछड़ों, दलितों और अल्पसंख्यकों (पीडीए) के साथ चुनावी मोड में है। चुनावी तैयारियों को लेकर इन दिनों सपा के मुखिया बड़े-बड़े दावे कर रहे हैं। लेकिन इन दावों की बीच उनके अपने भी पार्टी छोड़कर बगावत करने लगे हैं।
ऐसे में लोकसभा चुनाव में उनकी उत्तर प्रदेश में बड़ी जीत का सपना बिखरता हुआ नजर आ रहा है। बागवती तेवर अपनाने वाले नेताओं में पीडीए को लेकर खासी नाराजगी है।
दरअसल लोकसभा चुनाव 2024 तैयारी में लगातार सपा जुटी हुई है। इन तैयारियों के बीच सपा में सब कुछ अच्छा नहीं चल रहा है। पार्टी से लगातार दिग्गज चेहरे या नेताओं का बगावत करना और छोड़ने का सिलसिला थम नहीं रहा है। वहीं पार्टी छोड़ने के बाद नेताओं द्वारा लोकसभा चुनाव में जीत की राह में बाधा बनकर मुश्किल खड़ा करने का दावा किया जा रहा है। हाल ही दारा सिंह चौहान के सपा छोड़ने का क्रम अभी भी बना हुआ है। इधर, एक-एक कर तीन नेताओं ने बगावती तेवर अपनाने तो साइकिल की सवारी से उतर गए हैं। उन्होंने लगातार पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के पिछड़ों, दलितों और अल्पसंख्यक (पीडीए) को लेकर खासी नाराजगी है।
इन नेताओं ने छोड़ी साइकिल की सवारी
समाजवादी लोहिया वाहिनी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर रहे प्रदीप तिवारी बगावत करते हुए सपा से नाता तोड़ लिया है। वहीं समाजवादी युवजन सभा के प्रदेश अध्यक्ष व पार्टी मुखिया के सजातीय नेता बृजेश यादव भी पार्टी के खिलाफ खुलकर आ गए हैं। इनके साथ ही 2017 में सपा के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले और अखिलेश यादव के बेहद करीबी माने जाने वाले युवा नेता पीडी तिवारी ने भी मोर्चा खोल दिया है और पार्टी के विरोध में खुलकर आ गए हैं।
क्या कहना है नेताओं का
समाजवादी लोहिया वाहिनी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे और हाल ही में पद से हटाए गए प्रदीप तिवारी का कहना है कि अखिलेश यादव जब कन्नौज से पहला चुनाव लड़ रहे थे, तब उनके पीछे-पीछे हम लोग दौड़ते थे। नौजवान उनके चेहरे में अपना भविष्य देखते थे। लेकिन, आज हम लोगों का मजाक पार्टी में ही उड़ाया जा रहा है, यह गलत बात है। उन्होंने कहा कि जो पीडीए का नाम लिया जा रहा है, यह सामान्य वर्ग के लोगों के लिए घातक है। सभी जाति वर्गों को लेकर चलने वाला प्रदेश है। मैं इसलिए उनकी नीतियों के खिलाफ हूं। बहुत जल्द हम बड़ी बैठक करके उत्तर प्रदेश में जो संघर्षशील नेता हैं, उनका साथ लेंगे। हम बहुत बड़ा मूवमेंट तैयार करके इन्हें 80 के मुकाबले जीरो पर लाएंगे।
अब सपा की रीढ़ कहे जाने वाले फ्रंटल संगठन के युवा नेता भी पार्टी के खिलाफ बगावत के रास्ते पर चल पड़े हैं। जिन युवा नेताओं ने विपक्ष में रहने के दौरान लाठियां खाईं, आंदोलन किए, जेल भेजे गए। अब वही यूथ विंग के बड़े पदाधिकारी खुद सपा के खिलाफ बिगुल फूंक रहे हैं। पार्टी के फ्रंटल संगठन में अलग-अलग पदों पर रहे यह युवा पदाधिकारी जल्द ही लखनऊ में बड़ी बैठक करने वाले हैं।
समाजवादी युवजन सभा के प्रदेश अध्यक्ष रहे बृजेश यादव का कहना है कि मैं गरीब परिवार से निकला हूं। गरीब परिवारों के लड़कों का शोषण सपा में होता है। अगर, उनकी वफादारी में जरा सी भी कमी हो तो उन्हें सजा दी जाए। लेकिन सपा ने उनकी पीठ में छुरा घोंपने का काम किया। वो परिवारवाद के खिलाफ हैं, इसलिए आंदोलन की तैयारी है। पार्टी ने संघर्षशील नौजवानों का शोषण किया। उनका राजनीतिक इस्तेमाल किया गया है उसे वो पूरे प्रदेश में बताएंगे।
देवरिया से चुनाव लड़ चुके पीडी तिवारी ने कहा युवाओं का सपा में कोई भविष्य नहीं है। 2017 में सपा के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले पीडी तिवारी का कहना है कि वह नेताजी मुलायम सिंह यादव की सियासी यूनिवर्सिटी के विद्यार्थी रहे हैं। नेताजी कहते थे कि दोस्ती का भी एहसास कराना जरूरी है और दुश्मनी का भी। वर्तमान में सपा की जो नीतियां हैं वह खुद ही उन्हें जीरो पर लाने वाली हैं। जब अखिलेश यादव को पार्टी से निकाला गया, तब हम लोगों ने अपने राजनीतिक जीवन को कुर्बान कर दिया लेकिन उनका साथ नहीं छोड़ा। आज हम युवाओं के 20-20 साल के संघर्ष का मजाक उड़ाया जा रहा है।
इस बाबत राजनैतिक विश्लेषकों का कहना है कि समाजवादी पार्टी में चल रही उठा-पटक और अंदरूनी कलह को लेकर लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव के लिए जिस तहर से यूपी की 80 सीटों के लिए दावे किए जा रहे हैं वह राह कांटों भरी है। ऐसे में पार्टी के नेताओं का जाना सियासी रूप से सही संकेत नहीं है। रही बात पीडीए और विपक्ष गठबंधन की तो अभी इसके पत्ते सामने नहीं आए हैं, आने वाले दिनों में सीट बटंवारे और दिल्ली की कुर्सी को लेकर इनमें भी मतभेद देखने को मिल सकते हैं।