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सलमान रुश्दी की किताब पर फिर बवाल, भारत सरकार से पाबंदी लगाने की मांग, जानिए पूरा मामला

 

बरेली,। ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने सलमान रुश्दी की विवादित किताब सेटेनिक वर्सेज को लेकर चिंता जाहिर की है। मौलाना ने अपने बयान में कहा कि इस किताब पर 1988 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की सरकार ने प्रतिबंध लगाया था, लेकिन अब यह प्रतिबंध खत्म हो गया है। कुछ पब्लिशर इसे दोबारा भारत में छापने की तैयारी कर रहे हैं, जो देश के शांतिपूर्ण माहौल को बिगाड़ सकता है।

मौलाना ने कहा कि यह किताब इस्लाम, पैगंबर मोहम्मद, और उनके परिवार सहित सहाबा-ए-किराम की शान में गंभीर अपमानजनक बातें लिखी गई हैं। उन्होंने कहा कि इस किताब को 1988 में जब पहली बार प्रकाशित किया गया था, तो पूरे देश में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर यह किताब दोबारा बाजार में आई, तो मुसलमान समुदाय इसका कड़ा विरोध करेगा।

देश के माहौल पर खतरा

मौलाना शहाबुद्दीन ने कहा कि यह किताब सिर्फ इस्लाम ही नहीं बल्कि अन्य धर्मों के महापुरुषों और देवी-देवताओं के प्रति भी अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करती है। उन्होंने कहा कि भारत में वर्तमान में शांति और सद्भाव का माहौल है, लेकिन इस किताब के पुनः प्रकाशन से यह माहौल खराब हो सकता है।

भारत सरकार से कार्रवाई की मांग

उन्होंने भारत सरकार से अपील की है कि सेटेनिक वर्सेज पर तुरंत दोबारा प्रतिबंध लगाया जाए। साथ ही, उन्होंने दिल्ली के उन पब्लिशर्स को चेतावनी दी है जो इसे छापने की योजना बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुस्लिम समाज किसी भी कीमत पर इस किताब को बाजार में आने नहीं देगा।

आंदोलन की चेतावनी

मौलाना ने कहा कि यदि यह किताब बाजार में आती है, तो मुस्लिम समाज इसे बर्दाश्त नहीं करेगा। उन्होंने साफ कहा कि यह विरोध शांतिपूर्ण तरीके से होगा, लेकिन जरूरत पड़ने पर बड़े स्तर पर आंदोलन किया जाएगा।

संवेदनशीलता जरूरी

यह मामला अभिव्यक्ति की आजादी और धार्मिक भावनाओं के बीच संतुलन बनाए रखने का है। अब यह देखना होगा कि भारत सरकार इस मुद्दे पर क्या कदम उठाती है और कैसे देश के माहौल को शांतिपूर्ण बनाए रखती है।

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