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संयुक्त राष्ट्र महासभा में गाजा में युद्ध विराम प्रस्ताव पारित, भारत समेत इन देशों ने पक्ष में किया मतदान

संयुक्त राष्ट्र  (हि.स.)। संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) की आपात बैठक में गाजा में तत्काल युद्ध विराम प्रस्ताव पारित हो गया। भारत समेत 153 देशों ने इसके पक्ष में मतदान किया। 10 सदस्यों ने इसका विरोध किया। 23 सदस्य इस प्रक्रिया से अनुपस्थित रहे। यह जानकारी संयुक्त राष्ट्र की समाचार सेवा ने अपने एक्स हैंडल और वेबसाइट पर साझा की है।

संयुक्त राष्ट्र की समाचार सेवा के अनुसार, इसमें तत्काल मानवीय युद्ध विराम, सभी बंधकों की तत्काल और बिना शर्त रिहाई की मांग की गई। प्रस्ताव में महासभा की मांग को भी दोहराया गया कि सभी पक्ष अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत अपने दायित्वों का पालन करें। इसमें अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून भी शामिल है। यह कानून विशेष रूप से नागरिकों की सुरक्षा के संबंध में है। प्रस्ताव से पहले फिलिस्तीन के आतंकवादी संगठन हमास का विशिष्ट संदर्भ देने वाले दो संशोधनों के पक्ष में सदस्य देशों ने मतदान किया।

यूएनजीए चीफ फ्रांसिस ने कहा कि गाजा में नागरिकों पर हमले हो रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय और मानवीय कानूनों का गंभीर उल्लंघन हुआ है। फ्रांसिस ने गाजा में तत्काल युद्ध विराम के लिए समर्थन जताया है। संघर्ष विराम का प्रस्ताव मिस्र के राजदूत अब्देल खालेक महमूद ने पेश किया। युद्ध विराम प्रस्ताव के खिलाफ मतदान करने वाले देशों में अमेरिका, ऑस्ट्रिया, चेक रिपब्लिक, ग्वाटेमाला, इस्राइल, लाइबेरिया, माइक्रोनेशिया, नाउरू, पापुआ न्यू गिनी और परागुआ शामिल हैं।

संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा कि भारत ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया है। महासभा में जिस स्थिति पर विचार-विमर्श किया जा रहा है, उसके कई आयाम हैं। सात अक्तूबर को इजराइल पर आतंकवादी हमला हुआ और कई लोगों को बंधक बनाया गया, जो चिंता की बात है। गाजा में बड़ा मानवीय संकट पैदा हुआ है। बड़े पैमाने पर नागरिकों की जान गई है। सभी परिस्थितियों में अंतरराराष्ट्रीय मानवीय कानून का पालन करने का मुद्दा है। भारत वर्तमान में क्षेत्र के सामने मौजूद कई चुनौतियों के समाधान के लिए साझा प्रयास में अंतरराष्ट्रीय समुदाय की एकता का स्वागत करता है।

संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी दूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने कहा कि अमेरिका युद्ध विराम प्रस्ताव से सहमत नहीं है। अमेरिकी दूत ने युद्ध के लिए सीधे तौर पर हमास को दोषी ठहराया। इजराइल के राजदूत गिलाद अर्दान ने प्रस्ताव को खारिज करते हुए कहा है कि युद्ध रोकने से केवल हमास को फायदा होगा।

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