प्रयागराज (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुख्य चिकित्सा अधीक्षक जिला अस्पताल मैनपुरी के कर्मचारियों को ग़लत वेतनमान तय कर हुए अधिक भुगतान की वसूली आदेश पर रोक लगा दी है और राज्य सरकार से याचिका पर छह हफ्ते में जवाब मांगा है।
याचिका की अगली सुनवाई 16 अगस्त को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेन्द्र ने आशा शाक्या, रामश्री माथुर, गीता रानी यादव व विनोद बिहारी तिवारी की याचिकाओं की सुनवाई करते हुए दिया है।
याचिका में कहना था कि वेतन निर्धारण में याचियों की कोई भूमिका नहीं है। जो भी विभाग ने तय कर दिया, उन्होंने प्राप्त किया। विभाग अपनी ग़लती का दंड उन्हें नहीं दे सकता। याचियों ने सुप्रीम कोर्ट के पंजाब राज्य बनाम रफीक मसीह केस में दिये फैसले का हवाला दिया, जिसमें विभागीय गलती से अधिक भुगतान की वसूली पर रोक लगाई गई है। कोर्ट ने प्रकरण विचारणीय माना और वसूली पर रोक लगाते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा है।