– 82 सीटों पर तीसरा मोर्चा देगा भाजपा-कांग्रेस को टेंशन
भोपाल (ईएमएस)। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में अभी तक ग्वालियर-चंबल, विंध्य और बुंदेलखंड में भाजपा-कांग्रेस के लिए अभी तक बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ही टेंशन देती थी। लेकिन इस बार बसपा के साथ भीम आर्मी (चंद्रशेखर आजादी पार्टी) भी टेंशन देने वाली है। बसपा के बाद भीम आर्मी के चंद्रशेखर की आजाद समाज पार्टी मध्यप्रदेश की 230 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है। इसके लिए आजाद समाज पार्टी ओबीसी महासभा, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के साथ मिलकर चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है। इस तरह से मध्यप्रदेश में भीम आर्मी तीसरे मोर्चा की मुख्य धुरी बनकर उभर सकती है। राजनीतिक विज्ञानियों का कहना है कि तीसरे मोर्चें ने आकार लिया तो आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा-कांग्रेस दोनों को दलित-आदिवासी (एससी-एससीएसटी) बहुल प्रदेश की 82 सीटों पर कड़ी चुनौती मिल सकती है।
मध्य प्रदेश में 17 फीसदी के करीब दलित वोटर हैं। बसपा और भीम आर्मी जैसी दलित फोकस्ड दलों का सियासी आधार इन्हीं वोटों पर टिका हुआ है। उत्तर प्रदेश से सटे हुए मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड, विंध्य, ग्वालियर-चंबल इलाके की विधानसभा सीटों पर दलित वोटर्स प्रभाव डालती रही हैं। प्रदेश की 25 विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जहां पर दलित वोटर्स सीधे तौर पर भाजपा-कांग्रेस या तीसरे दल के प्रत्याशी की हार-जीत तय करते हैं। ग्वालियर-चंबल संभाग और बुंदेलखंड में बड़ी आबादी दलित समुदाय की है, जहां पर कुछ सीटों पर मायावती की माया (बसपा) चुनाव जीतती रही है। आगामी विधानसभा चुनाव में बसपा के बाद भीम आर्मी इन्हीं इलाकों की सीटों पर फोकस कर रही है और इतनी सीटें जीतने की जुगत में है, ताकि उसके बिना कांग्रेस या भाजपा किसी की भी सरकार न बन सके। हम बता दें कि 2018 के विधानसभा चुनाव में ग्वालियर चम्बल संभाग की 34 सीटों में से भाजपा सिर्फ 7 सीटें जीतने में सफल रही थी। जबकि कांग्रेस ने 26 सीटों पर जीत दर्ज की थी। बसपा को सिर्फ एक सीट मिल सकी थी।
– 2018 में 36 सीटों पर तीसरे स्थान पर रही थी बसपा
2018 में भाजपा को सत्ता से बाहर करने में बसपा की बड़ी भूमिका रही थी। 2018 के विधानसभा चुनाव में बसपा को प्रदेश में 5 प्रतिशत से अधिक वोट मिले थे। तथा 36 सीटों पर बसपा तीसरे स्थान पर थी। वर्तमान में भाजपा-कांग्रेस के बाद बसपा प्रदेश में तीसरे नंबर की पार्टी है। मौजूदा विधानसभा में बसपा के दो विधायक पथरिया से रामबाई और भिंड से संजीव सिंह हैं। जबकि जौरा, देवताल, ग्वालियर ग्रामीण, पौहारी, रामपुर बघेलान और सबलगढ़ विधानसभा सीट पर बसपा प्रत्याशी दूसरे नंबर पर रहे थे।
– प्रदेश में आरक्षित सीटें
मध्यप्रदेश में करीब 22 फीसदी आदिवासी वोटर्स हैं। जबकि 17 फीसदी दलित वोटर्स है। मप्र विधानसभा की कुल 230 सीटों में से 47 सीटें अनुसूचित जनजाति (एससी-एसटी) और 35 सीटें अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित हैं। इस तरह 82 सीटें एससी-एसटी के लिए आरक्षित हैं। जबकि 148 सीटें अनारक्षित हैं।