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विज्ञान परिषद खाली करेगी इलाहाबाद विश्वविद्यालय का विज्ञान भवन, जानिए क्या है पूरा मामला

–खाली करने की नोटिस के खिलाफ याचिका खारिज

-कोर्ट ने कहा, बेदखली के अलग कार्यवाही की जरूरत नहीं

प्रयागराज,   (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में स्थित विज्ञान भवन खाली करने की नोटिस के खिलाफ विज्ञान परिषद के महासचिव के मार्फत दाखिल याचिका खारिज कर दी है।

कोर्ट ने कहा कि विश्वविद्यालय को बेदखली के लिए अलग से कानूनी प्रक्रिया अपनाने की जरूरत नहीं है। कोर्ट ने विज्ञान भवन खाली करने की नोटिस पर हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया। यह आदेश न्यायमूर्ति एम सी त्रिपाठी तथा न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने विज्ञान परिषद व अन्य की याचिका पर दिया है।

मालूम हो कि 10 मार्च 1913 को विज्ञान भवन स्थापित हुआ। क्लाज 2(2) में साफ तौर पर कहा गया है कि सम्पत्ति पर विश्वविद्यालय का अधिकार होगा। बिना विश्वविद्यालय की अनुमति लिए परिषद कुछ अलग करती है तो उसे छह माह की नोटिस पर भवन खाली करना होगा।

इसके बावजूद विज्ञान भवन को वेंक्वेट हाल के तौर पर किराए पर उठाकर लाभ कमाया जा रहा है। जो विज्ञान भवन के उद्देश्य के विपरीत है। 23 फरवरी 23 को नोटिस दी गई कि विज्ञान परिषद भवन का कामर्शियल इस्तेमाल न करें और अपनी गतिविधियों पर रोक लगाये। केवल हिंदी में साइंस क्रिया कलाप की अनुमति दी गई है। किंतु इस लाइसेंस का उल्लघंन किया गया। जिस पर भवन खाली करने का आदेश दिया गया। चुनौती याचिका कोर्ट ने खारिज कर दी।

विश्वविद्यालय की कार्यकारिणी परिषद ने विज्ञान भवन का व्यावसायिक इस्तेमाल कर किराया वसूलने पर भवन खाली करने की अध्यक्ष/सचिव ईस्टर्न यूपी चेंबर्स आफ कामर्स एण्ड इंडस्ट्रीज को 4 अप्रैल 23 को नोटिस दी। जिसके जवाब में गलती स्वीकार कर भविष्य की बुकिंग निरस्त करने की बात कही गई और कहा कि ऐसे भवन खाली करने को न कहा जाए। इसके लिए अलग से बेदखली की कानूनी कार्रवाई की जाय। कोर्ट ने इस मांग को मानने से इंकार कर दिया।

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