कोरबा (ईएमएस) छत्तीसगढ़ विधानसभा आसन्न चुनाव 2023 का समय जैसे-जैसे नजदीक आता जा रहा है वैसे-वैसे टिकट के दावेदारों की धड़कनें भी तेज होने लगी है। आचार संहिता भी कुछ ही दिनों में घोषित कर दी जाएगी जिसके कारण अब तक खुद को प्रत्याशी मानकर चल रहे दावेवार चाह रहे हैं कि जल्द से जल्द नाम की घोषणा कर दी जाए कि मैदान में उन्हें या किसे उतारा जा रहा है।
कांग्रेस और भाजपा ने उम्मीदवारों की सूची लगभग तैयार कर ली है। प्रदेश के 90 विधानसभा क्षेत्र में से 21 पर जहां भाजपा ने 17 अगस्त को प्रत्याशी घोषित कर दिए गए हैं, वहीं शेष सीटों के लिए नाम भी लगभग अंतिम चरण में हैं। कांग्रेस को पूरे 90 सीटों के लिए नामो की घोषणा करनी हैं। जिसमें अनेक सीटों पर एकल नाम तय हुए हैं तो कुछ के लिए काफी कश्मकश के बाद नाम फाइनल हो सकने की जानकारी मिल रही हैं। हाई कमान की मोहर लगते ही इसकी घोषणा कर दी जाएगी।
इधर दूसरी ओर कोरबा हाई प्रोफाइल जिले में चुनाव लड़ने के लिए कांग्रेस और भाजपा से दावेदारी करने वालों के बीच में भी सियासी पारा गरम हो चला है हालांकि यह पूर्व सुनिश्चीत हैं की कोरबा विधान सभा क्षेत्र में विकास कार्यो की लम्बी श्रंखला हैं जिसे नजरअंदाज किया ही नहीं जा सकता यदि जिले में एक सीट महिला के रूप में चयनित करनी ही हैं तो इसके लिये कोरबा क्षेत्र को चुना जाना बहुत लाभप्रद नहीं होगा। यह भी माना जा रहा हैं की यहाँ से पूर्व विधायक और मंत्री जयसिंह अग्रवाल के अवश्यसंभावी विजयी होने पर कोई संदेह नहीं हैं। वैसे तो यहां दावेदारों की लंबी लिस्ट है लेकिन प्रमुख नाम को छोड़कर बाकी नाम छद्म तौर पर माने जा रहे हैं। नारी शक्ति वंदन अधिनियम महिला विधेयक 2023 के लोकसभा और राज्यसभा में पास होने के बाद इसी चुनाव से महिलाओं को राजनीति में आरक्षण दिए जाने की परिपाटी शुरू करने के भी कयास लगाए जा रहे हैं। कांग्रेस छत्तीसगढ़ प्रभारी शैलजा ठाकुर ने जहां पिछले दिनों इसकी घोषणा भी कर दी है वहीं भाजपा भी इस राह पर चल सकती है। कोरबा जिले में वह कौन महिला होगी, जिसे प्रत्याशी के तौर पर सामने लाया जाएगा इसका भी आंकलन शुरू हो गया है। हालांकि कोरबा विधानसभा में भाजपा ने लखनलाल देवांगन को प्रत्याशी घोषित कर दिया गया है तो यहां से अब कांग्रेस को उम्मीदवार उतारना है जिसके लिए मौजूदा विधायक और राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल का नाम फाइनल माना जा रहा है।
हालांकि उनकी धर्मपत्नी पूर्व महापौर श्रीमती रेणु अग्रवाल का नाम भी घोषित हो जाये तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए क्योकि वे भी सतत अंचल के मतदाताओं से सेवा कार्य करते हुए जुडी हुई हैं। कोरबा जिले के रामपुर विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस से फूलसिंह राठिया और पूर्व विधायक श्यामलाल कंवर की प्रबल दावेदारी है तो वहीं श्यामलाल कंवर के पुत्र मोहिंदर ने भी कोशिश जारी रखी हुई है।यहां से महिला दावेदार के तौर पर सांसद प्रतिनिधि श्रीमती धनेश्वरी कंवर का नाम भी पैनल में रखा गया और नारी शक्ति वंदन अधिनियम पास होने के बाद इस बात की संभावना बढ़ गई है कि धनेश्वरी कंवर को उम्मीदवार बनाया जा सकता है सूत्रों के मुताबिक 1 लोकसभा क्षेत्र से औसत 2 महिला उम्मीदवार के हिसाब से उनका नाम आगे चल रहा है। भाजपा से तो मौजूदा विधायक ननकीराम कंवर दावेदारी में सबसे आगे चल रहे हैं। हालांकि यहां महिला दावेदार पूर्व जनपद अध्यक्ष श्रीमती रेणुका राठिया भी हैं।
कटघोरा विधानसभा में कांग्रेस से मौजूदा विधायक पुरुषोत्तम कंवर का भी नाम फाइनल ही माना जा रहा है। हालांकि यहां से जिला पंचायत उपाध्यक्ष श्रीमती रीना अजय जायसवाल की भी प्रबल दावेदारी है और भाजपा से श्रीमती ललिता डिक्सेना प्रबल दावेदार हैं। यह भी चर्चा उड़ी थी कि यहां से विकास महतो को प्रत्याशी बनाया जा सकता है जबकि सर्वाधिक प्रबल संभावना में भाजपा नेता केदारनाथ अग्रवाल की बनी रही हैं क्योकि राजनैतिक आंकलन कर्ताओ का मानना हैं की यदि केदारनाथ अग्रवाल को भाजपा प्रत्याशी बनाया जाता तो जीत की संभावना काफी बढ़ जाती।
इस क्षेत्र से दूसरा नाम जिला पंचायत सदस्य प्रेमचंद पटेल का भी सामने आया है। पाली-तनाखार विधानसभा से मौजूदा विधायक मोहित राम केरकेट्टा ने अपनी सशक्त दावेदारी पेश की है तो भाजपा से भी कई नाम भेजे गए हैं। इनमें रामदयाल उइके पूर्व विधायक ने अपनी मजबूत दावेदारी पेश की है। यहां भी दावेदारों की लंबी लिस्ट है लेकिन दोनों ही संगठन ऐसे प्रत्याशी पर दांव लगाएंगे जो जीतने का दम रखता है। हालांकि पाली-तानाखार विधानसभा कांग्रेस का गढ़ है और पिछले लोकसभा चुनाव में यह स्पष्ट तौर पर देखने को मिला जहां कांग्रेस ने लीड वोट हासिल कर जीत सुरक्षित की।
-सामाजिक तौर पर साध रहे
घोषित और संभावित प्रत्याशियों के द्वारा प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से विभिन्न सामाजिक संगठनों और उनके पदाधिकारी को साधने के लिए लगातार कवायद जारी है। सामाजिक संगठनों के साथ-साथ महिला मतदाताओं पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। नए और युवा मतदाताओं को भी अपनी पार्टी की तरफ आकर्षित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है। कुछ ऐसे भी लोग हैं जो सामाजिक पकड़ नहीं रखने के बाद भी नेताओं को गुमराह करने में लगे हैं, जिनसे उन्हें सतर्क रहना होगा। वैसे मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा में ही होना है। पाली-तानाखार विधानसभा में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी भी सीधी टक्कर दे रही है। माना जा रहा हैं की अन्य प्रत्याशियों और दलों की भूमिका कहीं ना कहीं वोट काटने तक ही सिमट कर रह जाएगी। वोटों का गणित लगाते हुए संगठन अपने पदाधिकारियों को भी निगरानी में रखे हुए हैं ताकि कहीं भी कोई गड़बड़ी न होने पाए। केंद्रीय स्तर पर प्रभारी नियुक्त करने के साथ-साथ राज्य और जिला स्तर पर भी प्रभारी नियुक्त किए गए हैं जो सीधे रिपोर्टिंग राज्य और केंद्र को देंगे।
-विकास बनाम परिवर्तन
इस चुनाव में एक और जहां कांग्रेस लंबे वर्षों के इंतजार और संघर्ष के बाद सत्ता में लौटी है तो उसने अपने इन लगभग पौने पांच वर्ष के कार्यकाल में जो विकास कार्य कराए, जो उपलब्धियां हासिल की है, छत्तीसगढ़ राज्य को कांग्रेस की सरकार ने प्रदेश के मुख्यमंत्री के नेतृत्व में जिन ऊंचाइयों पर पहुंचा है, प्रत्येक वर्ग के लिए किए गए कार्यों को जन-जन तक पहुंचने की नीति तैयार कर विकास के नाम पर समर्थन मांगा जा रहा है। दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ राज्य में 15 साल सत्ता में रहने के बाद कुर्सी गंवा बैठी भाजपा फिर से सत्ता में आने के लिए लालायित है। इनके द्वारा परिवर्तन यात्रा निकालकर लहर चलाई जा रही है। कुल मिलाकर छत्तीसगढ़ में विकास बनाम परिवर्तन की राजनीतिक लड़ाई होने की उम्मीद जताई जा रही हैं।
छत्तीसगढ़ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह जैसे दिग्गज नेता आ रहे हैं तो कोरबा में उत्तरप्रदेश के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक, केंद्रीय मंत्री सोमराज जैसे दिग्गजों की आमसभा कराई गई। कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी, मौजूदा अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, प्रियंका गांधी, छत्तीसगढ़ प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज आदि दिग्गज कांग्रेस की पुनः सरकार बनाने के लिए पूरी शिद्दत से जुटे हुए हैं।
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