Breaking News

वाराणसी सिकरौरा कांड : याची की दलील, माफिया बृजेश सिंह को बरी करना सही नहीं

–खंडपीठ के समक्ष प्रस्तुत किया गया मुख्य गवाह हीरावती का बयान

प्रयागराज,   (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट में वाराणसी के बुलवा थानांतर्गत (वर्तमान में चंदौली जिला) में 37 साल पहले हुए सिकरौरा कांड मामले की सुनवाई जारी है। याची पक्ष की ओर से कहा गया कि मामले में माफिया बृजेश सिंह को बरी किया जाना सही नहीं था। कोर्ट ने सोमवार को समयाभाव की वजह से सुनवाई को मंगलवार तक के लिए टाल दी।

हीरावती की ओर से दाखिल अपील पर मुख्य न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति अजय भनोट की खंडपीठ सुनवाई कर रही है। इसके पहले सुनवाई शुरू होते ही याची अधिवक्ता ने केस के मुख्य गवाह हीरावती द्वारा ट्रायल कोर्ट में दिए गए बयान को कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया। अधिवक्ता ने बताया कि मुख्य गवाह-याची घटना में शामिल सभी आरोपियों को पहचानती थी। ट्रायल कोर्ट ने उसके द्वारा दिए गए बयान को पूरी तरह से ध्यान नहीं दिया। नहीं तो माफिया बृजेश सिहं सहित अन्य आरोपित बरी न हो पाते।

अधिवक्ता ने कहा कि याची गांव की अनपढ़ महिला है। उसके बयान का सही आंकलन नहीं किया गया। वह घटना में शामिल सभी आरोपितों को पहचानती है। उसके बयान में घटना के सम्बंध में किया गया कथन कोई संदेह पैदा नहीं कर रहा है। घटना के सम्बंध में सीधे सबूत हैं। फिलहाल कोर्ट ने समय की कमी की वजह से केस की सुनवाई को एक दिन के लिए टालते हुए इस पर मंगलवार को सुनवाई जारी रखने को कहा है।

बता दें कि, सन् 1987 में तत्कालीन जिला क्षेत्र वाराणसी के बलुआ थानांतर्गत सिकरौरा कांड में याची हीरावती के पति, दो देवर और तीन पुत्रों की हत्या कर दी गई थी। इसमें माफिया बृजेश सिंह सहित कुल 13 लोगों को आरोपित बनाया गया था। वाराणसी के सत्र न्यायालय ने आरोपितों को बरी कर दिया था। इसके बाद हीरावती ने सत्र न्यायालय के फैसले को हाईकोर्ट में अपील दाखिल कर चुनौती दी है। कोर्ट उसी पर सुनवाई कर रही है।

Check Also

मुख्यमंत्री ने जेवर भूमि अधिग्रहण के लिए प्रतिकर 3100 से बढ़ाकर किया 4300 रुपये प्रति वर्गमीटर

  -किसानों को नियमानुसार ब्याज का भी होगा भुगतान, प्रभावित किसानों के व्यवस्थापन, रोजगार-सेवायोजन का …