प्रयागराज (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दो दिन से चल रही लगातार बहस के बाद शुक्रवार को ज्ञानवापी मस्जिद और विश्वेश्वर मंदिर विवाद मामले में अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है।
लगातार चल रही सुनवाई के दूसरे दिन कोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर से जुड़े चार याचिकाओं पर निर्णय सुरक्षित कर लिया है। ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि इस मामले में कोर्ट इसी माह शीतावकाश से पूर्व फैसला दे देगी। इस दौरान सिविल वाद की पोषणीयता को लेकर भी सवाल खड़े हुए। इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा पूर्व पारित किए आदेश का हवाला भी दिया गया।
सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और अंजुमन इंतजामियां मसाजिद की ओर से दाखिल याचिकाओं पर न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की पीठ सुनवाई कर रही थी। दोनों याचियों की ओर से वाराणसी की जिला अदालत में 1991 में दाखिल सिविल वाद की पोषणीयता और ज्ञानवापी परिसर का एएसआई सर्वे कराए जाने की मांग को चुनौती दी गई है। केस स्थानांतरित होने के बाद इस मामले की सुनवाई कर रही तीसरी कोर्ट ने तीन तिथियों में पूरी बहस सुन ली। शुक्रवार से पहले इस मामले में बृहस्पतिवार और पांच दिसम्बर को सुनवाई हुई थी। दो दिनों से लगातार बहस जारी रही।
मस्जिद पक्ष की ओर से जहां सिविल वाद की पोषणीयता पर सवाल उठाए गए और तर्क दिए गए कि यह पूजा स्थल अधिनियम-1991 और सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश सात और नियम 11 से प्रतिबंधित हैं। वहीं, हिंदू पक्ष की ओर से कहा गया कि यह अधिनियम इस मामले में लागू नहीं होता है। दोनों पक्षों की ओर से अपने-अपने तर्कों की पुष्टि के लिए हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट के दर्जनों केसों का हवाला दिया गया। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता सीएस वैद्यनाथन को इस मामले में विश्वेश्वर मंदिर की तरफ़ से पक्ष रखना था, परन्तु सुप्रीम कोर्ट में किसी केस में उनके द्वारा बहस करने के चलते वह यहां इस केस में बहस करने के लिए उपलब्ध नहीं हो सके। कोर्ट ने उनकी तरफ से लिखित बहस देने की अनुमति दे दी है। सोमवार को कोर्ट में उनके तरफ से लिखित बहस दे दी जाएगी।
मंदिर पक्ष की तरफ से अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी और अजय कुमार सिंह ने पक्ष रखा और मस्जिद पक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एसएफए नकवी और पुनीत गुप्ता ने बहस की।