-जिला जजों व न्यायिक अधिकारियों को मुकदमा दर्ज कराने का निर्देश
-कहा, बंदूक लेकर चलना मौलिक अधिकार नहीं
प्रयागराज (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश पारित कर उत्तर प्रदेश के किसी भी अदालत परिसर में वकीलों एवं वादकारियों को अदालत परिसर में हथियार ले जाने पर रोक लगा दी है।
यही नहीं हाईकोर्ट ने जिला जजों व न्यायिक अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे न्यायालय परिसर में बंदूक लेकर वकीलों अथवा वादकारियों के पाए जाने पर उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराएं। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि वकीलों अथवा वादकारियों द्वारा आर्म्स लेकर परिसर में चलना आर्म्स एक्ट की धारा 17 (3)(ब) के अंतर्गत लोक शांति व लोक सुरक्षा को भंग करती है। न्यायालय ने कहा है कि बंदूक लेकर चलना किसी का मौलिक अधिकार नहीं है।
न्यायालय ने फैसला देते हुए कहा है कि कोर्ट परिसर के अंदर वकील अथवा वादकारी कोई भी व्यक्ति अदालत परिसर में हथियार नहीं रख सकता है। हाईकोर्ट ने वकीलों व वादकारियों को अदालत परिसर के अंदर स्थित बार एसोसिएशनों, वकील कैंटीन आदि किसी भी जगह पर आर्म्स लेकर चलने को प्रतिबंधित कर दिया है। कोर्ट ने बताया है कि यह अधिकार सिर्फ सुरक्षाकर्मियों को है।
हाईकोर्ट ने आदेश का अनुपालन करने के लिए वकीलों के बीच इस आदेश की जानकारी देने के लिए हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश दिया है कि वह इस आदेश को प्रदेश के सभी ज्यूडिशियल ऑफीसर्स, सचिव गृह उत्तर प्रदेश, बार काउंसिल आफ इंडिया, यूपी बार काउंसिल को सूचित करें।
यह आदेश जस्टिस पंकज भाटिया ने एक युवा अधिवक्ता अमनदीप की याचिका पर पारित किया है। युवा अधिवक्ता का वर्ष 2018 में यूपी बार काउंसिल में एनरोलमेंट हुआ है। इस अधिवक्ता पर आरोप था कि वह कोर्ट परिसर में आर्म्स लेकर घूमते पाए गए थे और इस कारण उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 188 तथा आयुध अधिनियम की धारा 30 के अंतर्गत प्राथमिकी की दर्ज कराई गई। लाइसेंसिंग अथॉरिटी ने इनका लाइसेंस रद्द कर दिया था, जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। हाईकोर्ट ने उनकी इस याचिका को खारिज कर दिया है।
हाईकोर्ट ने माना है कि जब भी सार्वजनिक शांति या सार्वजनिक सुरक्षा को खतरा हो, तो शस्त्र अधिनियम, 1959 की धारा 17(3)(बी) के तहत लाइसेंसिंग प्राधिकारी के लिए लाइसेंस रद्द करना या निलंबित करना अनिवार्य है। न्यायालय ने माना है कि वकीलों और वादियों को अदालत परिसर के अंदर हथियार ले जाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। क्योंकि यह स्पष्ट रूप से अदालत परिसर में सार्वजनिक शांति या सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरा होगा और न्याय प्रशासन पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा। न्यायालय परिसर में ड्यूटी पर तैनात सशस्त्र बलों के अलावा किसी अन्य व्यक्ति को न्यायालय परिसर के अंदर हथियार ले जाते हुए पाए जाने पर उसका शस्त्र लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा।