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‘वंदनवार पताका केतू, सबन्ही बनाए मंगल हेतू’ : प्राण प्रतिष्ठा के लिए कुछ ऐसे सज रही अयोध्या

अयोध्या :  “वंदनवार पताका केतू, सबन्ही बनाए मंगल हेतू”। 14 साल के वनवास के बाद जब भगवान श्रीराम का सीता व लक्ष्मण के साथ अयोध्या आगमन हुआ, तब अयोध्या के लोगों ने उनका स्वागत कुछ इसी तरह किया था। अब जब राम जन-जन के हो चुके हैं, अयोध्या के तो वह कण-कण में विद्यमान हैं, तब उनकी प्राण प्रतिष्ठा के ऐतिहासिक दिन 22 जनवरी को अयोध्या कुछ वैसी ही सजी संवरी नजर आएगी।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार, अयोध्या का संत समाज और स्थानीय लोगों के प्रयास से ऐसा संभव होगा। दरअसल देश-दुनिया में श्रीराम की व्यापकता के अनुसार उनकी प्राण प्रतिष्ठा के ऐसिहासिक क्षण को योगी सरकार अलौकिक, अभूतपूर्व और अविस्मरणीय बनाने को प्रतिबद्ध है। दो जनवरी को उच्चस्तरीय बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस बाबत शासन और स्थानीय प्रशासन के अधिकारियों को निर्देश भी दे चुके हैं।

राम मंदिर आंदोलन में एक सदी से गोरखपुर स्थित गोरक्षपीठ की केंद्रीय भूमिका और अयोध्या से इस दौरान के पीठाधीश्वरों का विशेष लगाव जगजाहिर है। मौजूदा गोरक्षपीठाधीश्वर और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए तो पिछले तीन दशक से अयोध्या उनकी रही और वे अयोध्या के। मुख्यमंत्री बनने के बाद भी उनका अयोध्या और रामलला से लगाव जस का तस रहा। जब भी मौका मिला वह अयोध्या गए। 30 दिसंबर को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वहां अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट और नवनिर्मित अयोध्या धाम जंक्शन के उद्घाटन के लिए आना था तो योगी तीन हफ्ते में तीन बार अयोध्या गए।

अयोध्या और रामलला से जुड़ाव के ही मद्देनजर मुख्यमंत्री की मंशा अयोध्या को दुनिया की ‘सांस्कृतिक राजधानी’ बनाने की है। इसी के अनुरूप यहां युद्ध स्तर पर काम भी चल रहा है। महर्षि वाल्मीकि अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट और नवनिर्मित अयोध्या धाम जंक्शन के उद्घाटन के बाद अयोध्या देश- दुनिया से जुड़ चुकी है। एयरपोर्ट के विस्तार के साथ यह कनेक्टिविटी और बेहतर होगी। ऐसे में सरकार प्राण प्रतिष्ठा के इस समारोह को उत्तर प्रदेश के लिए ग्लोबल ब्रांडिंग का एक अवसर भी मानती है। ऐसे में समारोह के दिन सुरक्षा और स्वच्छता के साथ आने वाले अतिथि और समारोह के बाद आने वाले पर्यटक/श्रद्धालु अयोध्या से सुखद और संतोषप्रद अनुभव अपने साथ ले जाएं, इस बात का भी पूरा प्रयास होगा।

इसके लिए मुख्यमंत्री अयोध्या में संविधान की आठवीं अनुसूची में सम्मिलित भाषाओं और संयुक्त राष्ट्र की नौ भाषाओं में स्मार्ट साईनेज लगाने और रेलवे स्टेशन से श्रद्धालुओं के लिए सीधी बस सेवा के लिए भी निर्देश दे चुके हैं। इसके अलावा मकर संक्रांति के बाद से राम कथा सरिता भी शुरू हो जाएगी। इसमें देश-विदेश के कलाकारों/कथाकारों/रामलीला मंडलियों को आमंत्रण भेजा जा रहा है। सीएम योगी वाक थ्रू से पूरी अयोध्या का दर्शन कराने के लिए अयोध्या का डिजिटल टूरिस्ट गाइड एप भी तैयार करा रहे हैं।

राम का मन अयोध्या में रमता है। अयोध्या उनको सर्वाधिक प्रिय है। इस बाबत उन्होंने खुद कहा है, ‘अवधपुरी मम पुरी सुहावनि।’ करीब 500 वर्ष बाद, राम एक बार फिर अयोध्या में रमेंगे। 22 जनवरी को श्रीराम मंदिर में आयोजित होने वाला प्राण प्रतिष्ठा समारोह इसका जरिया बनेगा। तब कमोबेश पूरे देश में, खासकर अयोध्या में वैसा ही माहौल होगा जैसा त्रेतायुग में वनवास के बाद श्रीराम के अयोध्या लौटने पर था।

मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में उनका चरित्र एक राष्ट्र, समाज और परिवार के लिए आदर्श है। उनका त्याग बेमिसाल है। इन्हीं खूबियों की वजह से राम सिर्फ भारत में नहीं दुनिया के कई देशों में स्वीकार्य हैं। वहां के लोगों के लिए आदर्श हैं। इस आदर्श को वहां की भावी पीढ़ी भी जाने इसके लिए कंबोडिया, नेपाल, श्रीलंका, इंडोनेशिया, मॉरिशस, सूरीनाम, फिजी आदि देशों में रामललीला का मंचन होता है। इनमें से अधिकांश देशों के रामदल भी अपने देश की परंपरा में राम के चरित्र को मंच पर जीवंत करेंगे। तब सदियों के ध्वंस, उपेक्षा से आहत अयोध्या चहक उठेगी। अगर बोल पाती तो नाम के अनुरूप यही कहती, ‘मैं अजेय हूं। मुझे और मेरे राम, मेरी संस्कृति को कोई जीत नहीं सकता।’

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