वाराणसी (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के किसानों को बड़ी सौगात दी है। उन्होंने 61 फसलों की 109 नई एवं उन्नत किस्में जारी कीं। नई किस्में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की ओर से लंबे समय के अनुसंधान के बाद विकसित की गई हैं। इनसे कम जमीन में भी अधिक पैदावार हो सकेगी। इन फसलों में वाराणसी स्थित भारतीय सब्जी अनुसन्धान संस्थान (आईआईवीआर) के विकसित सेम एवं लौकी की दो किस्मों को भी शामिल किया गया है। इन्हें काशी बौनी सेम-207 और काशी शुभ्रा नाम दिया गया है।
संस्थान के कार्यकारी निदेशक डॉ नागेंद्र ने इस उपलब्धि पर सोमवार को प्रधानमंत्री मोदी का आभार जताया। उन्होंने बताया कि काशी बौनी सेम-207 किस्म उन्नत किस्म की सेम है। जिसकी बढ़वार झाड़ीनुमा है और पौधे की ऊंचाई 65-70 सेमी है। इसके बीज की बुआई अक्टूबर के पहले सप्ताह में शुरू होती है और नवंबर के दूसरे सप्ताह (रबी फसल) तक जारी रहती है। पहली तुड़ाई बुआई के 90-95 दिन बाद शुरू होती है और मार्च के अंतिम सप्ताह तक 10-12 सेमी लंबी फलियाँ उपलब्ध हो जाती हैं। 05 तुड़ाई में इस फसल की औसत उपज 236 क्विंटल/हेक्टेयर है जिससे किसानों को बेहतर आय प्राप्त होगी। यह किस्म खेत में फसल अवधि के दौरान वायरस रोगों के प्रति सहनशील है।
उन्होंने बताया कि यह किस्म दिवा तापमान 35 डिग्री सेंटीग्रेड पर भी अच्छी उपज दे रही है। सरकार के केंद्रीय किस्म विमोचन समिति ने इस किस्म को पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड (जोन IV) और राजस्थान, गुजरात, हरियाणा और दिल्ली (जोन-VI) जैसे व्यावसायिक खेती वाले राज्यों के लिए पहले ही अधिसूचित किया है। उन्होंने बताया कि संस्थान में विकसित लौकी की किस्म काशी शुभ्रा जो मुक्त परागित किस्म है, और लोटनल/संरक्षित संरचना के तहत उत्पादित की जा सकती है, उसे भी खरीफ, जायद और ऑफ-सीजन में उगाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने किसानों को समर्पित किया है। इस किस्म की पहली तुड़ाई बीज बोने के 55 दिन बाद शुरू होती है। फल हल्के हरे, चिकने बेलनाकार (गुटका प्रकार), मध्यम लंबे (28-30 सेमी) और फल का औसत वजन लगभग 800 ग्राम होता है। यह पैकेजिंग, दूरस्थ परिवहन और निर्यात के उद्देश्य के लिए बेहद उपयुक्त है। उन्होंने बताया कि ये फल बहुत स्वादिष्ट होते हैं और खाद्य गुणवत्ता बेहतर है।
यह किस्म लौकी के सामान्यतया लगने वाले रोगों के प्रति सहिष्णु है और कमरे के तापमान पर फलों को बिना खराब हुए 6 दिनों तक भंडारित किया जा सकता है। इसकी औसत उपज 636.0 क्विंटल, हेक्टेयर है। इस किस्म को भी उत्तर प्रदेश, पंजाब, बिहार और झारखंड जैसे राज्यों में व्यावसायिक खेती के लिए केंद्रीय किस्म विमोचन समिति ने अधिसूचित किया है। इन दोनों ही किस्मों की रोग रोधी क्षमताओं के कारण इनसे किसानों को अच्छी उपज और फसल मूल्य से लाभ मिल सकता है।