लखनऊ। डा.राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान लखनऊ में जल्द ही इन डोर कैंसर रिहैबिलिटेशन सुविधा शुरू होगी। इसके अलावा राष्ट्रीय चिकित्सा विज्ञान परीक्षा बोर्ड की न्यूरो रिहैबिलिटेशन फेलोशिप, फिजिकल मेडिसिन एंड रिहैबिलिटेशन में एमडी कोर्स शुरू करने की योजना पर काम चल रहा है। यह जानकारी लोहिया संस्थान के पीएमआर विभाग के प्रमुख प्रोफेसर वी0एस0 गोगिया ने दी।
डॉ. राम मनोहर लोहियाआयुर्विज्ञान संस्थान के भौतिक चिकित्सा एवं पुनर्वास विभाग (पीएमआर) की ओर से विश्व दिव्यांग दिवस पर दिव्यांगता एवं उनके पुनर्वास के बारे में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
प्रोफेसर वी0एस0 गोगिया ने बताया कि लोहिया संस्थान का पीएमआर विभाग उत्तर प्रदेश का एक मात्र पीएमआर विभाग है, जिसमें न्यूरोलॉजिकल रोगियों (स्ट्रोक, दर्दनाक मस्तिष्क की चोट, रीढ़ की हड्डी की चोट, पार्किंसनिज़्म, आदि के लिए रोबोटिक रिहैबिलिटेशन की सुविधा उपलब्धहै। उन्होंने बताया कि पीएमआर विभाग विशेष रिहैबिलिटेशन क्लिनिक चलाता है, जिसमें दर्दप्रबंधन बाल विकलांगता खेल चोटों, कार्डियो-पल्मोनरी बीमारियों, कैंसर, न्यूरो-मस्कुलो-कंकाल की स्थितियों को कवर करने वाले विशेष पुनर्वा सचिकित्सा सुविधा उपलब्ध है।
इस अवसर पर न्यूरोलॉजी विभाग के प्रोफेसर दिनकर कुल श्रेष्ठ ने भी संबोधित किया। उन्होंने नेतृत्व की उन भूमिकाओं पर जोर दिया जो विकलांग व्यक्ति समय परपीएमआर ईलाज के साथ हासिल कर सकते हैं।उन्होंने पीएमआर टीम और इसके प्रमुख, पीएमआर विशेषज्ञ डॉक्टरों के काम काज के बारे में भी जानकारी दी।
पी0एम0आर विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. यशवीर सिंह ने बताया कि भारत में लगभग एक हजार पीएमआर विशेषज्ञ काम कर रहे हैं और लगभग 20 पीएमआर विशेषज्ञ उत्तरप्रदेश में काम कर रहे हैं। वर्तमान में केवल एक संस्थान पीएमआर पाठ्यक्रम में एम0डी0 प्रदान कर रहा है और उत्तर प्रदेश सरकार के अधीन पांच मेडिकल कॉलेजों में पीएमआर विभाग हैं।
डॉ. सिह ने कहा कि एन0एम0सी और भारत सरकार को पीएमआर विभाग और पीएमआर विशेषज्ञों को बढ़ाने के लिए पहल करनी चाहिए, ताकि हम अपने समाज की आबादी के इस बड़े समूह को पुनर्वास प्रबंधन प्रदान कर सकें।
इस अवसर पर दिव्यांगों के लिए भारत सरकार और राज्य सरकारों के साथ-साथ गैर सरकारी संगठनों की ओर से दिव्यांगजनों के लिए उपलब्ध लाभों और सुविधाओं के बारे में भी जागरूक किया गया।