मेरठ (हि.स.)। शामली जनपद की सियासत में मुनव्वर हसन के परिवार की तूती बोलती है। मुनव्वर हसन सबसे कम उम्र में देश के चारों सदन के सदस्य बन गए थे। इस बार भी कैराना लोकसभा सीट पर मुनव्वर हसन की बेटी इकरा हसन चुनाव मैदान में है।
शामली जनपद के हसन परिवार का राजनीतिक सफर 1969 से शुरू हुआ, जो आज भी जारी है। कैराना क्षेत्र के जंधेड़ी गांव में फैयाज हसन के घर पर 1930 में अख्तर हसन का जन्म हुआ। इसके बाद फैयाज का परिवार कैराना में आकर रहने वाला। 1969 में अख्तर हसन ने कैराना नगर निकाय के सभासद से अपना राजनीतिक सफर शुरू किया। 1990 में पिता के निधन के बाद अख्तर हसन मुस्लिम गुर्जर खाप के 84 गांव के चौधरी बने। 1971 और 1973 में अख्तर हसन कैराना नगर पालिका के चेयरमैन बने। 1984 में कांग्रेस के टिकट पर अख्तर हसन ने कैराना से लोकसभा चुनाव जीता।
बेटे को सौंप दी सियासत
1988 में अख्तर ने अपनी राजनीतिक विरासत बेटे मुनव्वर हसन को सौंप दी। 1991 में कैराना विधानसभा के उप चुनाव में जनता दल के टिकट पर मुनव्वर ने दिग्गज नेता हुकुम सिंह को हरा दिया। 1993 में मुनव्वर हसन फिर से विधायक चुने गए। 1996 में कैराना लोकसभा सीट से सांसद चुने गए। 1998 में भाजपा उम्मीदवार वीरेंद्र वर्मा ने मुन्नवर हसन को हरा दिया तो मुलायम सिंह ने मुनव्वर को राज्यसभा का सदस्य बनाया। वर्ष 2003 में सपा ने मुनव्वर को एमएलसी बनाया। 39 वर्ष की सबसे कम उम्र में चारों सदन में पहुंचने वाले पहले राजनेता बने। उनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज है। 2004 में मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट से सांसद चुने गए। 2008 में आगरा में सड़क दुर्घटना में मुनव्वर की मौत हो गई।
मुन्नवर की मौत के बाद पत्नी, बेटा, बेटी राजनीति में आए
मुनव्वर हसन की मौत के बाद 2009 में बसपा टिकट पर उनकी पत्नी तबस्सुम हसन कैराना से सांसद चुनी गई। 2019 में सांसद हुकुम सिंह के निधन के बाद उप चुनाव में तबस्सुम फिर से सांसद बनी। कैरान विधानसभा सीट से मुन्नवर के बेटे नाहिद हसन तीन बार से लगातार विधायक बनते आ रहे हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव में मुन्नवर की बेटी इकरा हसन को सपा ने कैराना सीट से चुनाव मैदान में उतारा है।