लखनऊ (हि.स.)। उत्तर प्रदेश का कौशांबी जिला प्राचीन वत्सदेश की राजधानी रहा है। 250 ईसा पूर्व कौशांबी के घोषिता राम बिहार में भगवान बुद्ध चतुर्मास रहने आए थे। जैन धर्म के छटे तीर्थंकर पद्मप्रभु की जन्मस्थली है। पहले यह सीट चायल लोकसभा के नाम से जानी जाती थी। कौशाम्बी निर्वाचन क्षेत्र अनुसूचित जाति के उम्मीदवार के लिए आरक्षित है। पिछले एक दशक से इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कब्जा है। उप्र की संसदीय सीट संख्या 50 कौशाम्बी में पांचवें चरण के तहत 20 मई को मतदान होगा।
कौशाम्बी संसदीय सीट का इतिहास
प्रतापगढ़ तक फैला कौशांबी निर्वाचन क्षेत्र 2008 में अस्तित्व में आया था। वर्ष 2009 के आम चुनाव से पहले यह संसदीय क्षेत्र चायल लोकसभा सीट के नाम से जाना जाता था। चायल संसदीय क्षेत्र में कौशांबी के तीन विधानसभा क्षेत्रों के अलावा प्रयागराज शहर पश्चिमी और फतेहपुर जनपद की खागा विधानसभा सीट शामिल थी। वर्ष 2009 में हुए चुनाव में इसे संसदीय क्षेत्र कौशांबी का दर्जा मिला। विधानसभा शहर पश्चिमी और फतेहपुर के खागा को हटाकर प्रतापगढ़ जिले के कुंडा और बाबागंज विधानसभा को शामिल कर दिया गया।
यहां पहली बार वर्ष 2009 में लोकसभा चुनाव हुए थे और समाजवादी पार्टी (सपा) के शैलेन्द्र कुमार सांसद बने थे। इसके बाद 2014 के चुनाव में भाजपा से विनोद कुमार सोनकर उतरे और विजय पताका फहराने में सफल रहे। 2019 के चुनाव में भाजपा ने विनोद सोनकर पर फिर भरोसा जताया और उन्हें उम्मीदवार घोषित किया। इस चुनाव में दूसरी बार विनोद कुमार सोनकर यहां जीत का कमल खिलाने में कामयाब हुए। अब उनकी नजर जीत की हैट्रिक पर लगी है।
पिछले दो चुनावों का हाल
2019 के आम चुनाव में भाजपा प्रत्याशी विनोद कुमार सोनकर ने सपा के इंद्रजीत सरोज वर्मा को शिकस्त दी। विनोद सोनकर को 383,009 (39.289 प्रतिशत) वोट मिले। वहीं सपा प्रत्याशी को 344,287 (35.31 प्रतिशत) वोट हासिल हुए। कांग्रेस प्रत्याशी गिरीश पासी तीसरे स्थान पर रहे। उनके खाते में 16,442 (1.69 प्रतिशत) वोट आए। कांग्रेस प्रत्याशी की जमानत जब्त हो गई।
2014 के चुनाव की बात करें तो भाजपा के विनोद कुमार सोनकर ने ये चुनाव 42,900 वोटों के अंतर से जीता था। विनोद कुमार सोनकर का मुकाबला सपा के शैलेन्द्र कुमार से था। भाजपा प्रत्याशी को 4331,724 (36.43 प्रतिशत) वोट मिले। सपा के खाते में 288,824 (31.72 प्रतिशत) वोट आए। बसपा के सुरेश पासी और कांग्रेस के महेन्द्र कुमार तीसरे और चौथे स्थान पर रहे। कांग्रेस प्रत्याशी अपनी जमानत बचाने में विफल रहा।
किस पार्टी ने किसको बनाया उम्मीदवार
भाजपा ने मौजूदा सांसद विनोद कुमार सोनकर को तीसरी बार मैदान में उतारा है। सपा की ओर से पुष्पेन्द्र सरोज मैदान में है। वहीं बसपा ने शुभ नारायण पर दांव लगाया है। चुनाव में मैदान में कुल 10 प्रत्याशी मैदान में हैं, जिसमें 4 निर्दलीय हैं।
कौशाम्बी सीट का जातीय समीकरण
जातीय समीकरण की बात करें तो यहां 46 प्रतिशत अनुसूचित जाति, 36 फीसदी पिछड़ा वर्ग, करीब 13 फीसदी मुस्लिम और सात प्रतिशत सामान्य जाति के लोग यहां निवास करते हैं।
विधानसभा सीटों का हाल
कौशाम्बी लोकसभा सीट के अंतर्गत पांच विधानसभा क्षेत्र चायल, सिराथू, मंझनपुर (अ0जा0) विधानसभा के अलावा प्रतापगढ़ जनपद में बाबागंज (अ0जा0) और कुंडा विधानसभा भी शामिल है। चायल और मंझनपुर (अ0जा0) पर सपा काबिज है। सिराथू से अपना दल कमेरावादी और बाबागंज व कुंडा पर जनसत्ता दल लोकतांत्रिक का कब्जा है।
जीत का गणित और चुनौतियां
कौशांबी लोकसभा क्षेत्र में प्रतापगढ़ जनपद की दो विधानसभा सीटें कुंडा और बाबागंज शामिल हैं। इन दोनों क्षेत्रों में जनसत्ता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया का प्रभाव माना जाता है। कुंडा से खुद राजा भैया विधायक हैं और बाबागंज से उनकी पार्टी के नेता विनोद सरोज विधायक हैं। ऐसे में कौशांबी सीट पर जीत के लिए राजा भैया का समर्थन महत्वपूर्ण माना जा रहा है। भाजपा और सपा दोनों ने ही राजा भैया के समर्थन की उम्मीद में बीते दिनों उनसे मुलाकात की थी। लेकिन किसी के पक्ष में कोई निर्णय लेने के बजाय उन्होंने न्यूट्रल रहने का फैसला किया है। कौशांबी सीट से भाजपा प्रत्याशी के साथ राजा भैया के रिश्ते छत्तीस के हैं। इसीलिए माना जा रहा है कि राजा भैया ने किसी को समर्थन न देकर जनता पर छोड़ दिया है। राजा भैया के इस दांव से भाजपा का कौशांबी में खेल बिगड़ सकता है।
राजनीतिक विशलेषक सुशील शुक्ल के अनुसार, कौशांबी में बीजेपी को सपा मजबूती से टक्कर देती दिख रही है। जातीय समीकरण सपा के पक्ष में है, लेकिन मोदी-योगी के नाम पर बीजेपी पूरे फॉर्म में नजर आ रही है। राजा भैया ने सियासी मूड नहीं भांपने के चलते ही जनता के पाले में गेंद डाल दी है।
कौशाम्बी से कौन कब बना सांसद
2009 शैलेन्द्र कुमार (सपा)
2014 विनोद कुमार सोनकर (भाजपा)
2019 विनोद कुमार सोनकर (भाजपा)