-तीन समर्थकों के हस्ताक्षर पर उठा था सवाल, कलक्टर के समक्ष गैरहाजिर होने पर नामांकन रद्द करने का फैसला
सूरत (हि.स.)। सूरत लोकसभा सीट से इंडी गठबंधन के संयुक्त उम्मीदवार व कांग्रेस नेता निलेश कुंभाणी का नामांकन रद्द कर दिया गया है। भाजपा की ओर से कुंभाणी के तीन समर्थकों के हस्ताक्षर पर सवाल उठाया गया था। इसके बाद कलक्टर ने तीनों समर्थकों को हाजिर होने को कहा था लेकिन तीनों के हाजिर न होने पर कुंभाणी का नामांकन पत्र खारिज कर दिया गया है। दूसरी ओर मामले में कांग्रेस ने हाई कोर्ट जाने का निर्णय किया है।
सूरत लोकसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार निलेश कुंभाणी के नामांकन को लेकर भाजपा की ओर से आपत्ति जतायी गई थी। निलेश कुंभाणी के नामांकन पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले तीन समर्थकों ने शपथपत्र के जरिए कहा था कि यह उनके हस्ताक्षर नहीं है। इसे लेकर भाजपा उम्मीदवार मुकेश दलाल के चुनावी एजेंट दिनेश जोधाणी ने आपत्ति दर्ज करते हुए मामला कलक्टर कार्यालय में उठाया था। बाद में कुंभाणी ने अपने तीनों समर्थकों के अपहरण होने की भी आरोप लगाते हुए इसकी शिकायत उमरा थाने में की थी। इस मामले में कुंभाणी ने शनिवार को ही तीन कथित गायब समर्थकों के लिए हाई कोर्ट में हेबियस कोर्पस और कलक्टर कार्यालय में उम्मीदवारी पत्र रद्द करने के विरोध में 3 आवेदन दिए थे। उम्मीदवारी पत्र रद्द करने के विरोध में रविवार को कलक्टर कार्यालय में सुनवाई की गई, जिसके बाद कुंभाणी का नामांकन फार्म रद्द कर दिया गया है। कुंभाणी को तीनों समर्थकों के हाजिर कराने को कहा गया था, लेकिन वे तीनों को हाजिर करने में विफल रहे।
अर्जुन मोढवाडिया और हार्दिक पर लगाए आरोप
कांग्रेस के जोनल प्रवक्ता अनूप राजपूत ने कहा कि निलेश कुंभाणी का फार्म रद्द करने के लिए भाजपा विधायक हार्दिक पटेल और कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए अर्जुन मोढवाडिया ने षडयंत्र रचा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस उम्मीदवार के समर्थकाें के कथित अपहरण में इन दोनों नेताओं के हाथ होने की आशंका है। उन्होंने कहा कि जब हार्दिक और अर्जुन मोढवाडिया कांग्रेस में थे तो उनका निलेश कुंभाणी और उनके आसपास के लोगों के साथ घनिष्ठ संबंध थे।ऐसे में यह प्रबल संभावना है कि कुंभाणी के नामांकन रद्द करने में इन दोनों नेताओं की संदिग्ध भूमिका हो सकती है। उन्होंने कहा कि पुलिस इसकी जांच करेगी तो निश्चित रूप से दोनों नेताओं की भूमिका सामने आएगी। कांग्रेस के वकील बाबू मांगुकिया ने इसे लोकतंत्र के अपहरण की बात कही है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह सब सोची-समझी साजिश के तहत किया गया है। दूसरी ओर कांग्रेस नेता व पूर्व पार्षद असलम साइकिलवाल ने कांग्रेस उम्मीदवार निलेश कुंभाणी के नामांकन रद्द होने की पूरी जिम्मेदारी कुंभाणी पर ही थोपी है। उन्होंने कहा कि कुंभाणी ने अपने सगे-संबंधियों और व्यवसाय भागीदार को समर्थक बनाया था। ऐसे में यदि वे कांग्रेस संगठन से राय-विमर्श कर समर्थक तय करते तो पार्टी की जिम्मेदारी होती। अभी के हालात में उन्होंने कांग्रेस संगठन के बजाय अपने रिश्तेदार पर भरोसा जताया है, जिसका खमियाजा हुआ कि उनका नामांकन रद्द हो गया है।