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लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा ने बनाया फुलप्रुफ प्लान…मोदी बनेंगे भारतीय इतिहास का सबसे बड़ा राजनीतिक चेहरा

लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा ने बनाया फुलप्रुफ प्लान…मोदी बनेंगे भारतीय इतिहास का सबसे बड़ा राजनीतिक चेहरा…अबकी बार 40 साल पुराने रिकॉर्ड को तोड़ेगी पार्टी
-मोदी की गारंटी, रामलला की स्थापना, मथूरा जन्मभूमि मुक्ति अभियान और सउदी में मंदिर का निर्माण बनेगा भाजपा की मजबूती का आधार
-बंगाल, ओडिशा के अलावा पूर्वोत्तर की सभी 25 सीटें जीतने की तैयारी
-आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु और केरल में भी दहाई अंकों में सीटें हासिल करने का लक्ष्य
-बिहार, यूपी, बंगाल और महाराष्ट्र में 2019 के मुकाबले 30 फीसदी सीटें बढ़ानी होंगी

नई दिल्ली (ईएमएस)। भारत के राजनीतिक इतिहास में साल 1984 के आम चुनावों में सबसे बड़ी जीत का रिकॉर्ड दर्ज है। कांग्रेस ने उस वक्त 523 लोकसभा सीटों में से 414 पर अकेले जीत दर्ज की थी। ये चुनाव प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के करीब दो महीने बाद हुई थी इसलिए कांग्रेस के पक्ष में सहानुभूति की लहर भी थी। लेकिन भाजपा 2024 के लोकसभा चुनाव में 40 साल पुराने इस रिकॉर्ड का तोडऩे की रणनीति पर काम कर रही है। भाजपा सूत्रों का कहना है कि पार्टी इस बार 421 सीटें जीतेगी। इस जीत के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारतीय इतिहास के सबसे बड़े राजनेता बन जाएंगे।
गौरतलब है कि तीन राज्यों में भारी जीत के बाद भाजपा ने लोकसभा चुनाव के लिए नारा गढ़ लिया है, अगली बार 400 पार(421 सीटें)। भाजपा सूत्रों का कहना है कि इसके लिए भाजपा ने फुलप्रुफ प्लान बनाया है। इस प्लान के तहत राज्यवार लोकसभा सीटें जीतने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। पार्टी की रणनीति के अनुसार बंगाल, ओडिशा के अलावा पूर्वोत्तर की सभी 25 सीटों पर भाजपा को जीतना जरूरी होगा, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु और केरल में भी दहाई अंकों में सीटें हासिल करनी होगी बिहार, यूपी, बंगाल और महाराष्ट्र में 2019 के मुकाबले 30 फीसदी सीटें बढ़ानी होंगी

मोदी मैजिक का जवाब नहीं
भाजपा के रणनीतिकारों का कहना है कि वर्तमान समय में पीएम मोदी के मैजिक का जवाब नहीं है। मप्र, छग और राजस्थान की जीत ने यह साबित कर दिया है। भाजपा नेताओं को उम्मीद है कि विपक्षी गठबंधन इंडिया के चुनावी मुद्दों का जिस तरह तीन राज्यों में दम निकला है, उसका फायदा हिंदी भाषी अन्य राज्यों में हो सकता है। लोकसभा चुनाव में करीब पांच महीने बाकी हैं। जिन तीन राज्यों में भाजपा ने परचम लहराया है, उसमें 65 लोकसभा सीटें हैं, जिनमें से अभी भाजपा के पास 61 सीटें हैं। हिंदी भाषी प्रदेश बिहार, यूपी, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मप्र, दिल्ली, झारखंड, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में 193 सीटें हैं। इन राज्यों में 177 सीटों पर भाजपा का कब्जा है। भाजपा के लिए चुनौती है कि इन राज्यों में अपनी सीट न सिर्फ बरकरार रखे बल्कि इसकी संख्या में इजाफा भी करे।

भाजपा के आंतरिक सर्वे के अनुसार हिंदी भाषी राज्यों में पीएम मोदी के पक्ष में जबरजस्त करंट है। मोदी की गारंटी, रामलला की स्थापना, मथूरा जन्मभूमि मुक्ति अभियान और सउदी में मंदिर का निर्माण भाजपा की मजबूती का आधार आधार बनेगा। विधानसभा चुनावों के इफेक्ट का आकलन करें तो यूपी और बिहार में ही भाजपा अधिकतम सीटें जीत सकती है। मगर पूर्ण बहुमत के लिए पार्टी को बंगाल, असम, महाराष्ट्र और गुजरात में भी 2019 का प्रदर्शन दोहराना होगा। 2019 के चुनाव में बंगाल में भाजपा को 18, महाराष्ट्र में 23 और गुजरात की सभी 26 सीटों पर जीत मिली थी।

 

लोकसभा चुनाव में भी चलेगा मोदी मैजिक
पिछले दो लोकसभा चुनाव में भाजपा नरेंद्र मोदी के चेहरे के सहारे मैदान में उतरी है। इस कारण लगातार दो बार पूर्ण बहुमत भी मिला। मगर मोदी लहर के बावजूद कई बड़े राज्य ऐसे हैं, जहां भाजपा का खाता भी नहीं खुला। भाजपा कश्मीर से बिहार तक अगर उत्तर भारत की सभी सीटें जीत जाती हैं तो उसे 245 सीटें मिलेंगी। ऐसा चमत्कार भारत की राजनीति में संभव नहीं है। 400 का आंकड़ा पार करने के लिए पार्टी को केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश में भी 10-10 सीटों की जरूरत होगी। इसके लिए पार्टी ने रणनीति बना ली है। वर्तमान में इन राज्यों की कुल 118 सीटों में से भाजपा के पास सिर्फ चार सीटें हैं, जो तेलंगाना में मिली थीं। पिछले आम चुनाव में भाजपा ने 28 में 25 सीटें दक्षिण भारत के राज्य में जीती थीं। इस बार पार्टी ने जेडी एस के साथ चुनावी समझौता किया है। समझौते के कारण भाजपा को 4 सीटें जेडी-एस को देनी होगी। यानी उसे उम्दा प्रदर्शन के लिए अपने खाते की सभी 24 सीटों पर जीत दर्ज करनी होगी। इसके अलावा बिहार में भी महागठबंधन में शामिल आरजेडी और जेडी यू भी दम रखती है। वहां भाजपा के लिए खुद की सीटों का बढ़ाना भी चुनौती है। 2014 के चुनाव में भाजपा अपने दम पर सर्वाधिक 22 सीट ही जीत सकी थी।

पूर्वी भारत पर फोकस
भाजपा के पास ओडिशा से केवल आठ लोकसभा सांसद हैं, जबकि बीजेडी के पास 20 सीटें हैं। इस पूर्वी राज्य में भी भाजपा के लिए विस्तार की अपार संभावनाएं हैं। सपने पूरे करने के लिए बंगाल में भी भाजपा को अपने पुराने रेकॉर्ड 19 सीटों से आगे बढऩे की जरूरत होगी। आंध्रप्रदेश, केरल और तमिलनाडु में भाजपा का खाता नहीं खुला था। पूर्वोत्तर के राज्यों की कुल 25 लोकसभा सीटों में से अभी तक भाजपा 11 क्षेत्रों में काबिज है। 400 का आंकड़ा पार करने के लिए भाजपा को सभी 25 सीटें जीतनी होंगी। इसके अलावा भाजपा को खुद गुजरात, राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और कर्नाटक की सीटों को विपक्ष के हाथों में जाने से बचाना होगा।

मिशन 2024 के लिए टारगेट
राज्य 2024 में जीत की संभावना
उत्तर प्रदेश 74
महाराष्ट्र 40
बिहार 35
आन्ध्र प्रदेश 10
तमिल नाडु 10
पश्चिम बंगाल 30
मध्य प्रदेश 29
कर्नाटक 26
गुजरात 26
राजस्थान 25
उड़ीसा 15
केरल 10
तेलंगाना 8
असम 12
झारखण्ड 12
पंजाब 2
छत्तीसगढ़ 11
हरियाणा 10
दिल्ली 7
जम्मू और कश्मीर 3
उत्तराखण्ड 5
हिमाचल प्रदेश 4
अरुणाचल प्रदेश 2
गोवा 2
त्रिपुरा 2
मणिपुर 1
मेघालय 1
अण्डमान और निकोबार द्वीपसमूह 1
चण्डीगढ़ 1
लद्दाख 1
दादर और नागर हवेली,दमन व दीव 1
नागालैण्ड 1
पॉण्डिचेरी 1
मिजोरम 1
लक्षद्वीप 1
सिक्किम 1

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