नई दिल्ली (ईएमएस)। कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के लिए 39 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी है। इसमें राहुल गांधी, छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सहित कई वरिष्ठ नेताओं के नाम शामिल हैं। कांग्रेस ने लिस्ट में केरल से भी उम्मीदवारों की घोषणा की है। पार्टी ने अलाप्पुझा संसदीय सीट से अपने महासचिव (संगठन) के सी वेणुगोपाल को उतारा है। अगर वेणुगोपाल जीत जाते हैं, तब इससे कांग्रेस को ही नुकसान होगा। वेणुगोपाल की जीत का मतलब होगा कि कांग्रेस राज्यसभा में बीजेपी के हाथों अपनी एक सीट खो देगी। दरअसल वेणुगोपाल वर्तमान में राजस्थान से राज्यसभा सांसद हैं। इसके बाद लोकसभा जीतने के बाद उन्हें अपनी राज्यसभा की सीट छोड़नी होगी।
उपचुनाव होने की स्थिति में कांग्रेस के पास अपने उम्मीदवार को फिर से जीताने के लिए विधानसभा में संख्या बल नहीं है। वेणुगोपाल के आलोचक भी उनकी उम्मीदवारी को वरिष्ठ नेता के रूप में मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल मानते हैं। राजनीति के जानकार मानते हैं कि अगर कांग्रेस 2026 का विधानसभा चुनाव जीतती हैं, तब संभव है कि वेणुगोपाल को मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। केरल के नेता निर्णय पर एकमत थे कि वेणुगोपाल को 2019 के चुनावों में पार्टी की ओर से हारी गई एकमात्र सीट हासिल करने के लिए अलाप्पुझा से लड़ने के लिए वापस आना चाहिए था। उस समय उन्होंने चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया था।
वेणुगोपाल अब आगामी चुनाव में आरिफ के खिलाफ मैदान में उतरे है। केंद्रीय चुनाव समिति के विचार-विमर्श के बाद केरल के नेताओं की बैठक के दौरान कांग्रेस मुख्यालय में आखिरी मिनट में राजनीतिक दांव-पेच देखने को मिले। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी और सोनिया गांधी ने भी केरल के नेताओं की योजनाओं पर अपनी सहमति दी। साल 2019 के संसदीय चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार शनिमोल उस्मान को एएम आरिफ ने हराया था। उन्होंने केरल में सीपीआई (एम) के लिए एकमात्र सीट जीती थी।
हालांकि, सूत्रों ने कहा कि वेणुगोपाल को टिकट देने पार्टी लीडरशिप को जाति और धर्म समीकरणों को संतुलित करने के लिए कुछ बदलाव करना पड़ा। इसमें वडकारा के सांसद के मुरलीधरन को त्रिशूर से टिकट दिया गया हैं। वहां से टीएन प्रतापन को हटा दिया गया। यदि वेणुगोपाल के साथ सभी मौजूदा सांसदों को मैदान में उतारा जाता है,तब कांग्रेस बिना मुस्लिम उम्मीदवार के इस बार केरल में लोकसभा चुनाव में उतरेगी। इस वजह से नेतृत्व ऐसी स्थिति से बचना चाहता था। हालांकि, शुरुआत में कन्नूर में एक मुस्लिम उम्मीदवार को मैदान में उतारने की योजना थी। वहां से केरल के कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के. सुधाकरन ने शुरू में चुनाव नहीं लड़ने की इच्छा जाहिर की थी।