भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ी मांग, अब रेंज की चिंता से मिलेगी मुक्ति
नई दिल्ली (ईएमएस)। भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल की बढ़ती मांग को देखते हुए अब स्वीडन की तर्ज पर इलेक्ट्रिक हाईवे बनाने की तैयारी की जा रही है। सरकार इलेक्ट्रिक सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए भरसक प्रयास कर रही है। फलस्वरुप आज देश में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की मांग जबरदस्त देखने को मिली है। फेम-2 सब्सिडी के अलावा सरकार इलेक्ट्रिक व्हीकल के लिए हाइवे बनाने की दिशा में काम कर रही है। इलेक्ट्रिक हाइवे बन जाने से ईवी यूजर्स को रेंज के लिए रेंज की चिंता दूर हो जाएगी और भविष्य में लोग ईवी से लंबे ट्रिप की प्लानिंग भी करेंगे।
बता दें कि पिछले साल जुलाई में परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने एक नई घोषणा की है कि सरकार दिल्ली से मुंबई के बीच एक इलेक्ट्रिक हाइवे बनाने की योजना पर विचार कर रही है। साथ ही उन्होंने भारी वाहन मालिकों से एथेनॉल, मेथेनॉल के साथ ही ग्रीन हाइड्रोजन का इस्तेमाल शुरू करने का आग्रह भी किया है। इलेक्ट्रिक हाइवे ऐसी सड़कें होती हैं जिसमें चलते समय इलेक्ट्रिक वाहनों को हर वो सुविधा मिलती है, जिसकी जरूरत ईवी यूजर्स को पड़ती है। इलेक्ट्रिक हाइवे पर 24 घंटे इमर्जेंसी सुविधा, ईवी रिपेयरिंग के लिए मेकैनिक, जगह-जगह चार्जिंग स्टेशंस, बैटरी स्वैपिंग स्टेशंस आदि शामिल हैं।
भविष्य में इलेक्ट्रिक कॉरिडोर देश में बन सकता है, जिसमें ओवरहेड पावर लाइन के जरिए बिजली प्रदान की जाती है, जिसे एक डिवाइस की मदद से ऐसी गाड़ियां चार्ज हो सकती हैं। जर्मनी जैसे देशों ने 2012 में ही ट्रॉली जैसी गाड़ियों की टेस्टिंग शुरू कर दी थी। वहीं, भारत में बनने वाली दिल्ली-मुंबई एक्स्प्रेसवे के लिए एक अलग लेन में इसकी टेस्टिंग की जा सकती है। गडकरी ने इस हाईवे के बारे में जानकारी देते हुए बताया था 1,300 किलोमीटर लंबे दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर एक अलग से इलेक्ट्रिक हाईवे लाइन बनाई जाएगी, जहां ट्रक और बस 120 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से जा सकते हैं। जबकि गडकरी ने 2016 में ही कहा था कि भारत में स्वीडन की तरह ई-हाईवे बन सकते हैं।
इलेक्ट्रिक हाइवे पूरी तरह से ईको फ्रेंडली साबित होगा, क्योंकि इलेक्ट्रिक गाड़ियां डीजल-पेट्रोल से चलने वाली गाड़ियों की तुलना में पर्यावरण के लिए कम हानिकारक होती हैं। इसके अलावा, इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि इससे वाहनों की आवाजाही पर आने वाले खर्च में भारी कमी हो सकती है। एक रिपोर्ट्स में दिए गए आंकड़े के मुताबिक, ई-हाइवे से लॉजिस्टिक कॉस्ट में 70 फीसदी की कमी आएगी। अगर ट्रांस्पोर्टेशन के लागत में कमी आएंगी तो भारत में बिकने वाले चीजों की कीमतों में कमी हो सकती है।