हमीरपुर (हि.स.)। अयोध्या में 1990 में गोली कांड के चश्मदीद गवाह कस्बा निवासी भोला मिश्रा ने बताया कि वह पांच सदस्य कारसेवा करते हुए 28 अक्टूबर 1990 को अयोध्या पहुंचे थे। जब 30 अक्टूबर को कार सेवकों ने विवादित स्थल के गुंबद पर चढ़े तो तत्कालीन सरकार ने उन पर गोली चलवा दी। वह उस समय भक्तमाल आश्रम में रुके हुए थे। गोलियों की तड़ताहट सुनकर आश्रम में ही दुबककर रह गए थे।
बताया कि चार दिन तक वहां छुपे रहने के बाद तीन नवंबर को घर आने के लिए चोरी छिपे अयोध्या से निकले थे। बताया कि कारसेवकों का वह बलिदान आज राम मंदिर बनने के बाद प्राण प्रतिष्ठा होने पर पूरा हो रहा है।
बताया कि वह बजरंग दल के रामप्रकाश मिश्रा के नेतृत्व में परशुराम द्विवेदी,रामकुमार तिवारी,प्रेमसागर गुप्ता के साथ सुमेरपुर कस्बे से पांच सदस्य रवाना हुए थे। उन्हें सुमेरपुर कस्बे के समाजसेवी बेनीप्रसाद गुप्ता उर्फ बेनीबाबू व गणेश सिंह विद्यार्थी ने झंडी दिखाकर अयोध्या के लिए रवाना किया था। बताया कि राम मंदिर को लेकर लोगों में जबरदस्त उत्साह था और वह एक पल भी विवादित ढांचे को नहीं देखना चाहते थे।
इसी के चलते कारसेवा करते हुए अयोध्या पहुंच रहे थे। लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री ने वादा किया था कि विवादित ढांचे के आसपास कोई परिंदा भी पर नहीं मार सकता और वह इसी को पूरा करने के लिए कारसेवकों पर गोलियां चलवा दी थी। जिससे बड़ी संख्या में कारसेवकों ने अपनी आहुतियां दे दी थी और उसी का परिणाम है कि आज राम मंदिर बनकर तैयार हो रहा है। 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हो रही है। उन्हें अयोध्या जाने का निमंत्रण तो नहीं मिला है। लेकिन वह अपने घर पर ही रहकर इस क्षण को पूरे श्रद्धा और उस्ताह के साथ अंगीकार करेंगे। बताया कि उनके साथ जाने वाले रामप्रकाश मिश्रा,रामकुमार तिवारी व प्रेमसागर गुप्ता का निधन हो चुका है। सिर्फ परशुराम द्विवेदी व वह खुद राम मन्दिर बनता हुआ देख रहे हैं।