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योगी ने थामा ‘अपनों’ का हाथ, अखिलेश नहीं निभा रहे साथ, जानें क्या है मामला

-पहले चरण में आठ सीटों पर चुनाव प्रचार के छह दिन बाकी, अखिलेश को खोज रहे सपा प्रत्याशी

लखनऊ  (हि.स.)। योगी आदित्यनाथ यानी परिस्थिति कैसी भी हो, लेकिन अपनों का साथ नहीं छोड़ते। 19 अप्रैल को पहले चरण का मतदान होना है, लिहाजा 17 अप्रैल को चुनाव प्रचार थम जाएगा। इसके पहले योगी आदित्यनाथ ने एनडीए प्रत्याशियों का हाथ थामकर सभी सीटों पर कई बार मतदाताओं से संवाद कर कमल खिलाने का आह्वान कर लिया। वहीं अखिलेश यादव गुरुवार तक सपा व इंडी गठबंधन के एक भी प्रत्याशियों के लिए प्रचार करने नहीं पहुंचे।

पहले चरण में आठ सीटों पर चुनाव होना है। प्रचार के महज छह दिन शेष हैं। जिनकी बदौलत इंडी गठबंधन के प्रत्याशी नैया पार लगाने की तैयारी में थे, अखिलेश की वजह से वे मझधार में फंस गए हैं। जरूरत के समय उनके अपने अखिलेश ही अभी तक साथ नहीं खड़े हुए, जबकि योगी आदित्यनाथ ने पहले व दूसरे चरण की लगभग सभी और तीसरे चरण की कई सीटों पर मतदाताओं को एनडीए के पक्ष में सहेज लिया है।

 

14 दिन में 37 जनसभा कर चुके हैं योगी

योगी आदित्यनाथ ने 14 दिन के भीतर 37 जनसभाओं को संबोधित कर लिया है। उत्तर प्रदेश के साथ ही राजस्थान, महाराष्ट्र और जम्मू में भी भाजपा प्रत्याशियों के पक्ष में उन्होंने कमल खिलाने की अपील की। 27 मार्च को सीएम योगी ने मथुरा में प्रबुद्ध सम्मेलन के जरिए यूपी में चुनावी प्रचार का आगाज किया था। यही नहीं, योगी आदित्यनाथ चार अप्रैल को मथुरा की भाजपा प्रत्याशी हेमामालिनी के नामांकन में भी शामिल हुए। अब तक मथुरा आदि सीटों पर प्रचार में मुख्यमंत्री कई बार जा चुके हैं, जबकि विपक्ष के प्रत्याशी ‘अपने रहनुमाओं’ की राह देख रहे हैं।

 

पहले और दूसरे चरण की लगभग सभी तथा तीसरे चरण की कई सीटों पर कर चुके हैं प्रचार

योगी आदित्यनाथ ने पहले चरण की सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, नगीना, रामपुर व पीलीभीत में एनडीए प्रत्याशियों के लिए कई बार संवाद कर लिया तो दूसरे चरण की अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, नोएडा, बुलंदशहर, अलीगढ़ व मथुरा में रोड शो-जनसभा भी कर ली है। तीसरे चरण की हाथरस, आगरा, फतेहपुर सीकरी, बदायूं, आंवला व बरेली में चुनाव प्रचार में जा चुके हैं। गौरतलब है कि बरेली मंडल की बदायूं, बरेली व पीलीभीत में इस बार भाजपा ने नए प्रत्याशियों पर दांव लगाया है।

 

भाजपा के साथ ही गठबंधन के प्रत्याशियों के लिए भी योगी संकटमोचक

भाजपा ने रालोद के साथ गठबंधन किया है। ऐसे में योगी आदित्यनाथ यूपी के मुखिया के रूप में भाजपा प्रत्याशियों के साथ ही रालोद प्रत्याशियों के लिए भी संकटमोचक बन गए हैं। रालोद ने यूपी में बागपत और बिजनौर सीट पर अपने उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। बिजनौर में पहले चरण व बागपत में दूसरे चरण में मतदान होगा। बिजनौर से रालोद ने चंदन चौहान और बागपत से राजकुमार सांगवान को जनता के चुनाव में उतारा है। योगी आदित्यनाथ चंदन चौहान के लिए तीन और राजकुमार सांगवान के लिए भी दो रैली कर चुके हैं।

 

यूपी के बाहर भी तीन राज्यों में कर चुके हैं प्रचार

लोकसभा चुनाव-2024 के मद्देनजर योगी आदित्यनाथ अब तक राजस्थान, महाराष्ट्र व जम्मू में भी प्रचार कर चुके हैं। सात अप्रैल को योगी आदित्यनाथ राजस्थान के भरतपुर में रामस्वरूप कोली, दौसा में कन्हैया लाल मीणा व सीकर में स्वामी सुमेधानंद सरस्वती के पक्ष में प्रचार कर चुके हैं तो आठ अप्रैल को उनकी उपस्थिति महाराष्ट्र में रही। वे वर्धा से रामभी भाई तड़स, भंडारा में सुनील मेंढे व नागपुर में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के लिए चुनाव प्रचार करने पहुंचे। 10 अप्रैल को सीएम योगी ने जम्मू की उधमपुर सीट से केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह के लिए हुंकार भरी।

सातवें चरण की दमदार वाराणसी व गोरखपुर सीट पर कार्यकर्ताओं को सहेजा

वाराणसी सीट से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एनडीए उम्मीदवार हैं। यहां सात जून को वोट पड़ेगा। यूपी के मुखिया होने के कारण योगी आदित्यनाथ ने तीन अप्रैल को यहां लोकसभा चुनाव संचालन समिति की बैठक की और कार्यकर्ताओं को उनकी जिम्मेदारी सौंपी। यहां बूथ से लेकर पन्ना प्रमुखों को भी योगी ने फील्ड संभालने का दायित्व सौंपा तो चार अप्रैल को अपने गृह जनपद गोरखपुर के साथ ही बांसगांव व संतकबीर नगर के लोकसभा चुनाव संचालन समिति की बैठक कर कार्यकर्ताओं को कमल खिलाने के लिए मैदान संभालने का मंत्र दिया।

पहला चरणः आठ सीटों पर चुनाव, प्रचार के छह दिन बाकी, अखिलेश को खोज रहे सपा के प्रत्याशी

 

छह दिन बाद यानी 17 अप्रैल को पहले चरण का चुनाव प्रचार थम जाएगा। पहले चरण की सीट पर अभी तक अखिलेश यादव या इंडी गठबंधन के अन्य नेता प्रचार करने तक नहीं पहुंचे हैं। पहले चरण में आठ सीटों पर चुनाव होना है। प्रचार थमने में महज छह दिन शेष हैं। ऐसे में सपा प्रत्याशी अपने मुखिया अखिलेश यादव को खोज रहे हैं। अमूमन पत्नी की मैनपुरी सीट के उपचुनाव को छोड़ दिया जाए तो लोकसभा के बाकी उपचुनावों से गायब रहने वाले अखिलेश आम चुनाव प्रचार में भी अभी तक अपने प्रत्याशियों का साथ देने नहीं पहुंचे हैं।

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