लखनऊ, (हि.स.)। एक समय था जब माफिया मुख्तार अंसारी की एक धमक थी। सरकारी महकमों में अधिकारी भी उनके नाम से भयभीत रहते थे। उत्तर प्रदेश के साथ अन्य प्रदेशों की सरकारी विभागों में भी मुख्तार अंसारी की तूती बोलती थी, उसका खासा हस्तक्षेप होता था। वह जिसको चाहता था, उस ठेकदार को ही टेंडर आवंटित होता था। योगी सरकार ने ऐसा चाबुक चलाया कि अब मुख्तार अंसारी के अति करीब रहे खास ठेकदार भी उनसे पिछा छुड़ाते हुए भाग रहे हैं। ये ठेकदार बता रहे हैं कि मुख्तार अंसारी से मेरा कोई रिश्ता नहीं है।
जेल में बंद माफिया मुख्तार अंसारी की विधानसभा की सदस्या रद्द होने के बाद वह प्रभावहीन हो चुके हैं। यह माफिया योगी सरकार से भयभीत है। अंसारी की राजनीतिक धरती सरक गई है। अब उन्हें चाहने वाले भी योगी सरकार के डर से अपने व्यवसायिक रिश्ते को छिपा रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2009 में वाराणसी लोकसभा सीट पर बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर मुख्तार अंसारी चुनाव लड़ रहा था, तभी आर्थिक रुप से मजबूत वाराणसी, गाजीपुर और घोसी व मऊ के ठेकेदारों ने उसे चुनाव लड़ने में बड़ी मदद की थी। ये वह दौर था, जब भारतीय जनता पार्टी का वाराणसी सीट पर दबदबा हुआ करता था। भाजपा के तत्कालीन प्रत्याशी के विरुद्ध मुख्तार अंसारी को लड़ाने के फैसले के पीछे भी वाराणसी के रोहनियां क्षेत्र में रहने वाले बड़े ठेकेदारों का हाथ था, जो मुख्तार के टिकट के लिए वाराणसी से लखनऊ तक दौड़ लगा रहे थे।
मुख्तार अंसारी ने जब कौमी एकता दल नामक पार्टी बनायी थी, उस वक्त भी ठेकेदारों ने बढ़चढ़ कर पार्टी को मजबूत करने में भागीदारी की थी। लखनऊ के दारुलशफा में उस वक्त कौमी एकता दल का कार्यालय खोला गया था और सुबह शाम बड़े ठेकेदार चेहरों को कार्यालय के बाहर बैठा हुआ देखा जाता था। जिसमें लखनऊ के भी ठेकेदार शामिल रहते थे।
मऊ जनपद के घोसी के रहने वाले ठेकेदार राजेश राय की मानें तो रेलवे के ठेकेदारों की बड़ी संख्या मुख्तार अंसारी के खेमे में हुआ करती थी। इधर बीच मुख्तार अंसारी की राजनीतिक जमीन सरकने के बाद मुख्तार से जुड़े ठेकेदारों ने किनारा करना शुरु कर दिया है। रेलवे की तरह ही निर्माण विभाग, खनन विभाग, पावर सेक्टर से जुड़े ठेकेदारों की भी बड़ी लिस्ट मुख्तार खेमे से जुड़ी मानी जाती रही है। जो अब मुख्तार खेमे से अलग होने के फिराक में हैं।
– गाजीपुर, घोसी में बोलती थी तूती
प्रदेश के दो संसदीय क्षेत्र गाजीपुर और घोसी में कोई ठेका पट्टा हो, उसमें मुख्तार अंसारी के नाम की तूती बोलती रही। दोनों क्षेत्रों में ठेकेदारों के बीच मुख्तार का दबदबा ही था कि दोनों सीटों पर मुख्तार के अपने पसंदीदा प्रत्याशी को जीत मिली। फिलहाल गाजीपुर सीट अभी अफजाल की संसदीय सदस्यता रद्द होने के बाद से खाली हो गयी है।
– पेशी पर जाने से डर रहा मुख्तार
प्रदेश में बड़े ठेकेदारों से जेल में बैठकें करने वाला मुख्तार आज पेशी पर जाने से डर रहा है। न ही जेल में किसी ठेकेदार से मिलना चाहता है। न ही जेल से बाहर निकल कर किसी पेशी पर जाना चाहता है। माफिया अतीक अहमद, शूटर संजीव जीवा के मारे जाने के बाद मुख्तार जेल में अपने बैरक में ही रह रहा है। मुख्तार अंसारी के अधिवक्ता ने कोर्ट से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये पेशी कराने की अपील भी की है।