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यूपी के इस लोकसभा सीट के लिए अतहर अंसारी को बसपा ने घोषित किया प्रत्याशी

भदोही,  (हि.स.)। बहुजन समाजवादी पार्टी ने आख़िरकार भदोही लोकसभा सीट के लिए अपना उम्मीदवार शुक्रवार को घोषित कर दिया। पार्टी ने प्रदेश के ग्यारह लोकसभा सीटों के लिए अपने प्रत्याशी उतारे हैं। भदोही से कालीन निर्यातक अतहर अंसारी को उम्मीदवार बनाया गया है। अतहर के आने से भदोही में अब त्रिकोणीय मुकाबला हो गया है।

बहुजन समाज पार्टी ने आखिरकार अपने प्रत्याशी को उतार कर लोकसभा की गणित को बदल दिया है। भदोही में अभी तक सीधी टक्कर निषाद पार्टी के उम्मीदवार डॉ विनोद बिंद और इंडी गठबंधन से तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार ललितेशपति त्रिपाठी के बीच माना जा रहा था। लेकिन बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार अतहर अंसारी के आने से मुकाबला पूरी तरह त्रिकोणीय हो गया है। क्योंकि अतहर अंसारी जनपद भदोही के ही रहने वाले हैं और प्रसिद्ध कालीन निर्यातक हैं। मुस्लिम समुदाय से होने से वह मुस्लिम बिरादरी में अच्छी खासी सेंध लगा सकते हैं जबकि दलित वोट उनकी तरफ सीधे तौर पर जाएगा। जिसकी वजह से इसका सीधा नुकसान इंडी गठबंधन को होगा, जबकि फायदा भाजपा की झोली में जाएगा।

भदोही की चुनावी तस्वीर करीब-करीब पूरी तरह साफ हो गई है। क्योंकि तीनों प्रमुख दलों की तरफ से अपने-अपने उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतार दिए गए हैं। इससे भदोही जनपद की लड़ाई बेहद रोचक दौर में पहुंच गई है। भाजपा और निषाद पार्टी के गठबंधन से जहां डॉक्टर विनोद बिंद चुनावी मैदान में अपना भाग्य आजमाने उतरे हैं। वहीं इंडी गठबंधन से समाजवादी पार्टी-कांग्रेस और दूसरे दलों के साझा उम्मीदवार तृणमूल कांग्रेस के ललितेशपति त्रिपाठी भदोही में अपने भाग्य को आजमाएंगे। लेकिन अतहर अंसारी के आ जाने से अब चुनाव की गणित पूरी तरह बदल गई है। हालांकि जय पराजय का खेल तो मतदाताओं के हाथ में है। लेकिन दलित और मुस्लिम मत के भरोसे अतहर अंसारी जनपद की चुनावी गणित बदल सकते हैं।

आमतौर पर मुस्लिम समाजवादी पार्टी के साथ माने जाते हैं। भदोही में समाजवादी पार्टी की अच्छी खासी पकड़ है। भदोही विधायक जाहिद जमाल बेग खुद मुस्लिम समुदाय से आते हैं और बेहद अच्छे व्यक्ति हैं। ऐसी हालत में बहुजन समाज पार्टी ने मुस्लिम उम्मीदवार को उतार कर चुनाव की गणित को बदलने का काम किया है। अब बहुजन समाज पार्टी का प्रयोग कितना सफल होगा यह तो वक्त बताएगा। लेकिन इंडी गठबंधन के लिए यह बड़ी चुनौती बन गया है। लेकिन अगर ब्राह्मण मत ललितेशपति त्रिपाठी के साथ जुड़ता है तो यह मुकाबला और रोचक हो जाएगा।

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