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यूपी के इस जिले में 172 साल पहले शुरु हुई थी लालटेन की रोशनी में रामलीला, पढ़ें पूरा इतिहास

सुलतानपुर (हि.स.)। कुश की नगरी में आज भी राम सनातनियों के घर-घर भगवान श्रीराम पूजनीय हैं। जिले भर में 50 से अधिक जगहों पर दशहरा के पहले रामलीला का मंचन कर उनके आदर्शों को दिखाया जाता है। श्रीराम की जन्म भूमि अयोध्या के निकट का जिला होने के कारण प्रभु श्रीराम के प्रति यहां के लोगों में अगाध श्रद्धा और विश्वास है। ऐसे में जिले की पुरानी रामलीला की बात करें तो इसौली में सन 1852 से लगातार मंचन किया जा रहा है। शुरुआत में यहां साउंड की कोई व्यवस्था नहीं थी। लालटेन की रोशनी से उजाला किया जाता था। 11 दिन के मंचन में भगवान श्रीराम के सभी चरित्रों का बखान कर दिया जाता है। अधिकतर पात्र सरकारी नौकरी करने वाले लोग हाेते हैं जो मंचन के लिए छुट्टी लेकर घर आते हैं।

श्री-श्री 1008 बाबा सुचित दास के संरक्षण में राम सनेही पाठक, अयोध्या प्रसाद, गया प्रसाद जोशी व नन्हेलाल कौशल द्वारा 20 कलाकारों को लेकर पहली बार रामलीला का मंचन किया गया था। तब आज की तरह बिजली नहीं थी तो लालटेन व मिट्टी के तेल से जलने वाली गैस से उजाला किया जाता था। उस समय आसपास से लगभग तीन हजार से अधिक लोग रामलीला का मंचन देखने आते थे। स्वेच्छा से दिए गए दान से खर्च निकलता था। इस बार यहां की रामलीला तीन अक्टूबर से शुरू है। 40 पात्रों का चयन कर लिया गया, जिसमें 15 पात्र सरकारी नौकरी करने वाले बाहर के लोग हैं। काेई सेना, शिक्षा विभाग, राजस्व विभाग ताे काेई सचिवालय में नियुक्त है। वे मंचन की शुरुआत होने के पहले आ गए ।

अध्यक्ष घनश्याम मिश्र ने बताया कि मंचन करने वाले सभी लोग हर भूमिका के लिए तैयार रहते हैं। दो दिन पहले निर्धारित हो जाता है कि किसको कौन सा अभिनय करना है। मंत्री देवी शंकर श्रीवास्तव कहते हैं कि पुरानी परंपराओं को जीवित रखना ही हम लोगों का उद्देश्य है। नई पीढ़ी भी अपने आराध्य को जानें और उनके चरित्र का अनुसरण करें।

संचालक आचार्य सूर्यभान पांडेय ने बताया कि वर्षों से चली आ रही इस पारंपरिक रामलीला के संचालन स्वेच्छा से दिए गए दान से किया जाता है। तैयारी आदि में लगभग एक लाख रुपये खर्च हो जाते हैं।

यहां पर लगभग 10 वर्ष से रावण का अभिनय करने वाले बृजेश जोशी अधिवक्ता हैं। रामजी जोशी राजा दशरथ, रमेश श्रीवास्तव सूपर्णखा, बद्री विशाल मिश्र मंथरा, विष्णु कुमार जोशी हनुमान जी की भूमिका निभाएंगे। इसके अलावा शिवाकांत पांडेय अंगद व सुमंत का अभिनय करने वाले जितेंद्र श्रीवास्तव शिक्षक हैं। कुंभकर्ण की भूमिका वाले आशीष मिश्र व राजा जनक का किरदार निभाने वाले अमर मिश्र सेना में हैं। वहीं, शिवम जोशी परशुराम तो प्रहलाद जोशी मेघनाथ का रोल अदा करेंगे। श्रीराम चरित मानस की चौपाइयों के साथ यहां की रामलीला कराई जाती है। आसपास के लोगों की भीड़ देखकर आयोजक से लेकर पात्रों का उत्साह दोगुना हो जाता है। आयोजन कमेटी का कहना है कि ऐसे कार्यक्रम से क्षेत्र में एकजुटता का संदेश जाता है। आने वाली पीढ़ी को भगवान श्रीराम के चरित्र के बारे में जानकारी मिलती है।

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