हमीरपुर, (हि.स.)। हमीरपुर जिले में बेतवा नदी किनारे प्राचीन शिवमंदिर स्थित है, जिसके गर्भ में सैकड़ों सालों का पुराना इतिहास छिपा है। यह मंदिर कोटेश्वर के नाम से विख्यात है। जहां पाताली शिवलिंग स्थापित है। मान्यता है कि सावन मास में शिवलिंग का जलाभिषेक कर माथा टेकने पर टेंशन और सिरदर्द जैसी बीमारी छूमंतर हो जाती है। सावन मास के दूसरे सोमवार को यहां देर रात तक श्रद्धालुओं का मेला लगेगा।
हमीरपुर जिले के कुरारा थाना क्षेत्र में बेरी गांव में कभी रियासत रही है। बेतवा नदी किनारे बसे इस गांव में कोटेश्वर शिवमंदिर का छठा देखते ही बनती है। नदी के तट पर ये विशाल मंदिर सैकड़ों साल पुराना है। जिसे कोटेश्वर धाम भी माना जाता है। इस शिवमंदिर के पुजारी देवीदयाल ने बताया कि सैकड़ों साल पहले पाताल से एक शिवलिंग प्रगट हुआ था। जिसे मंदिर में विधि विधान से स्थापित कराया गया था।
ये शिवलिंग बड़ा ही अद्भुत है। जिसे दो मिनट तक देखने पर अशांत मन भी शांत हो जाता है। पुजारी ने बताया कि यहां शिवमंदिर में सावन मास और महाशिवरात्रि पर्व पर आसपास के तमाम श्रद्धालु माथा टेकने आते है। सावन मास के सोमवार को तो यहां देर शाम तक शिव भक्तों का मेला लगता है। रात में भजन कीर्तन में भी बड़ी संख्या में लोग शामिल होते है। ये शिवमंदिर बड़ा ही दिव्य है जहां एक बार कोई दर्शन करने आ जाता है तो वह दोबारा शिवमंदिर में हाजिरी लगाने जरूर आता है।
राजघराने की महारानी ने शिवमंदिर का कराया था विस्तार
मंदिर के महंत ने बताया कि 1944 में बेरी रियासत की महारानी राजेन्द्र कुमारी जूदेव भी मंदिर की अलौकिक शक्ति की मुरीद रही है। महारानी को सपने में किसी ने कहा कि इस मंदिर को भव्य रूप दिया जाये। अगले ही दिन महारानी मंदिर जा पहुंची और पूजा अर्चना करने के बाद मंदिर के विस्तार के लिए हरी झंडी मिलने पर शिव मंदिर को न सिर्फ भव्य रूप दिया गया, बल्कि इसे कोटेश्वर धाम के रूप में चमकाया गया। हर साल हजारों लोग मन्नतें लेकर माथा टेकने आते हैं।
मन की अभिलाषा के लिए श्रद्धालु मंदिर में टेकते है माथा
कोटेश्वर धाम मंदिर के महंत देवीदयाल ने बताया कि ये शिवमंदिर बुन्देलखंड और आसपास के तमाम इलाकों में विख्यात है। यहां पताली शिवलिंग का जलाभिषेक करने के लिए बड़ी संख्या में लोग आते हैं। बताया मन की अभिलाषा के लिए सावन मास के सोमवार को श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। यहां दिन भर जलाभिषेक कर विधि विधान से पूजा करने के बाद लोग मन्नतें मांगते हैं। भगवान भोले नाथ भी सच्चे मन से माथा टेकने वालों की अभिलाषा पूरी करते हैं।