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यूपी : अब घने कोहरे में भी दौड़ेंगी एनईआर की ट्रेन, जानिए क्या है रेलवे की तैयारी

 

इज्जतनगर रेल मंडल को 268 फॉग सेफ डिवाइस मिलीं

लोको पायलट को 500 मीटर पहले वॉइस मैसेज से मिलेगी क्रॉसिंग – ओवरब्रिज की सूचना

बरेली । उत्तर भारत में सर्दी अपना सितम ढहा रही है। शीतलहर के साथ रात से सुबह तक कोहरा भी घना है। जिसके चलते ट्रेन, और बसों से सफर काफी मुश्किल हो गया है। उत्तर रेलवे (एनआर) और पूर्वोत्तर रेलवे (एनईआर) की ट्रेन स्टेशनों पर घंटों की देरी से आ रही हैं। इससे यात्रियों को स्टेशनों के प्लेटफार्म पर ठंड में ठिठुरना पड़ रहा है। मगर, अब घने कोहरे में भी ट्रेन अपनी रफ्तार से दौड़ेंगी। भारतीय रेल ने ट्रेनों को 19742 फॉग सेफ डिवाइस (एफएसडी) उपलब्ध कराई हैं। इसमें एनईआर के इज्जतनगर रेल मंडल को 268 एफएसडी मिली हैं, जबकि पूरे एनईआर की ट्रेनों को 1091 दी गई हैं।
इज्जतनगर रेल मंडल के पीआरओ राजेंद्र सिंह ने बताया कि ट्रेनों के लोको पायलट को एफएसडी दे दी गई हैं। यह फॉग सेफ डिवाइस एक जीपीएस आधारित नेविगेशन डिवाइस है। लोको पायलट को घने कोहरे की स्थिति में ट्रेन चलाने में मदद करता है. यह लोको पायलटों को सिग्नल, लेवल क्रॉसिंग गेट (मानवयुक्त और मानव रहित), स्थायी गति प्रतिबंध, तटस्थ खंड आदि जैसे- निश्चित स्थलों के बारे में ऑन-बोर्ड वास्तविक समय की जानकारी (प्रदर्शन के साथ-साथ आवाज मार्गदर्शन) प्रदान करता है। इस प्रणाली से भौगोलिक क्रम में आने वाले अगले तीन निश्चित स्थलों में से लगभग 500 मीटर तक ध्वनि संदेश के साथ-साथ अन्य संकेतक मिलते हैं।

कोहरे-बारिश, और धूप का नहीं असर
इस डिवाइस की कई विशेषता है। सभी प्रकार के अनुभागों जैसे सिंगल लाइन, डबल लाइन, विद्युतीकृत और गैर विद्युतीकृत अनुभागों के लिए उपयुक्त, इलेक्ट्रिक और डीजल इंजनों, ईएमयू/एमईएमयू/डीईएमयू के लिए उपयुक्त, 160 किमी प्रति घंटे तक की ट्रेन गति के लिए उपयुक्त, 18 घंटे के लिए बिल्ट-इन रीचार्जेबल बैटरी बैकअप है। पोर्टेबल आकार में कॉम्पैक्ट, वजन में हल्का (बैटरी सहित 1.5 किलोग्राम से अधिक नहीं) और मजबूत डिजाइन, लोको पायलट अपनी ड्यूटी फिर से शुरू करने पर डिवाइस को अपने साथ आसानी से लोकोमोटिव तक ले जा सकता है। लोकोमोटिव के कैब डेस्क पर आसानी से रखने की सुविधा,एक स्टैंडअलोन प्रणाली है। कोहरे, बारिश या धूप जैसी- मौसमी स्थितियों से अप्रभावित रहता। इसके साथ ही ट्रेन की सुरक्षा, और संरक्षा भी बढ़ जाती है।

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