नई दिल्ली (ईएमएस)। आजकल का डिजिटल युग छोटे बच्चों के विकास पर गहरा असर डाल रहा है। मनोचिकित्सकों के अनुसार, मोबाइल फोन का अधिक उपयोग बच्चों में बोलने की क्षमता में कमी और विकास में देरी का कारण बन रहा है। मनोचिकित्सकों का कहना है कि मोबाइल पर समय बिताने वाले बच्चे अब पहले की तुलना में अधिक समय ले रहे हैं बोलना शुरू करने में। जहां पहले 2 साल की उम्र में बच्चे बोलना सीख जाते थे, वहीं अब मोबाइल के प्रभाव के चलते 5 से 6 साल की उम्र में बोलना सीख रहे हैं।
पिछले एक साल में, विशेषज्ञों के पास इसतरह के कई मामले आए हैं, जिसमें बच्चों को सामान्य उम्र में बोलने की क्षमता कम हो रही है। वर्तमान में, मोबाइल के अत्यधिक उपयोग की वजह से बच्चे बोलने की कोशिश भी नहीं कर पा रहे हैं। यह समस्या तब और बढ़ जाती है जब माता-पिता अपने व्यस्त जीवन के कारण बच्चों को पर्याप्त समय नहीं दे पाते और उन्हें शांत करने के लिए मोबाइल पर गाने या कार्टून लगा देते हैं।
डॉक्टरों ने पाया है कि हाल के डेढ़-दो सालों में, 5 से 6 साल की उम्र के बच्चों में बोलने में देरी की समस्या काफी बढ़ी है। उनके उच्चारण भी ठीक से नहीं निकल रहे हैं, और कुछ बच्चे बोलने में असमर्थ भी हैं। इस समस्या की जांच में पता चला है कि मोबाइल की लत इस विकृति का मुख्य कारण है।
क्या करे माता-पिता
माता-पिता बच्चों के मोबाइल और इंटरनेट पर बिताए गए समय पर नजर रखें और उम्र के हिसाब से स्क्रीन टाइम की लिमिट तय करें। बच्चों को शारीरिक गतिविधियों में शामिल करें जैसे कसरत, साइकिल चलाना, या दौड़ना, और सामान्य यूट्यूब के बजाय बच्चों के लिए सुरक्षित यूट्यूब फॉर किड्स डाउनलोड करें। इस प्रकार, बच्चों के बोलने और विकास में तेजी लाने के लिए, डिजिटल उपकरणों के उपयोग को नियंत्रित करना अत्यंत आवश्यक है।