लखनऊ (हि.स.)। लोकसभा चुनाव की तैयारियों के साथ ही नए-नए गठबंधनों को लेकर अटकलें तेज हो गयी हैं। यह भी संभव है कि चुनाव नजदीक आते-आते समाजवादी पार्टी विपक्षी गठबंधन का हिस्सा न रहे और उसके स्थान पर बसपा आ जाए। इसको लेकर कांग्रेस के अंदर चर्चा चल रही है। कांग्रेस हाइकमान भी सपा की अपेक्षा बसपा को ज्यादा तवज्जो दे रहा है।
कांग्रेस सूत्रों की मानें तो बसपा प्रमुख मायावती के साथ प्रियंका गांधी वाड्रा की बैठक हो चुकी है। फिलहाल इस गठबंधन की अभी घोषणा करने की जल्दी में कांग्रेस नहीं है। कांग्रेस का अभी पूरा ध्यान पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों पर है। उधर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय के घोसी के उपचुनाव के बाद सपा के खिलाफ आए बयान इस ओर संकेत करते हैं। कांग्रेस समाजवादी पार्टी को शक की निगाहों से देख रही है। इसके पहले भी सपा के साथ किया गया समझौता कांग्रेस के लिए फायदेमंद नहीं रहा।
घोसी उपचुनाव के बाद अजय राय ने कहा था कि घोसी जीतने वालों को मुगालते में नहीं रहना चाहिए, इसमें सबका योगदान था। कांग्रेस ने घोसी में फर्ज निभाया और सपा का समर्थन किया लेकिन उन्होंने उत्तराखंड के बागेश्वर में उम्मीदवार उतारकर हमें हराया। सपा ने बड़ा दिल नहीं दिखाया। पूर्वी उत्तर प्रदेश के बाद मेरठ पहुंचने पर भी अजय राय ने फिर से वही बयान दोहराया।
ऐसा माना जा रहा है कि कांग्रेस धीरे-धीरे समाजवादी पार्टी से मुक्त होना चाहती है। इसके लिए वह उपयुक्त बहाने तलाश रही है, जिससे गठबंधन के अन्य दल नाराज भी न हों और समाजवादी पार्टी से अलग हटकर कांग्रेस लोकसभा चुनाव में उप्र में बसपा से गठबंधन कर सके। कांग्रेस का यह मानना है कि बसपा के पास अब भी उप्र में 15 प्रतिशत तक वोट किसी गठबंधन को दिला सकती है जबकि समाजवादी पार्टी दूसरे पर अपना वोट बैंक चढ़ाने का दम नहीं रखती।
इस संबंध में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि अभी ऐसी कोई बात नहीं चल रही है। राजनीति में गठबंधन के लिए हमेशा दरवाजे खुले रहते हैं। भविष्य में क्या होगा, यह कहा नहीं जा सकता।