नई दिल्ली। देश में लोकसभा चुनाव नजदीक है। लेकिन उससे पहले 40 लोकसभा सीट वाले बिहार में एनडीए गठबंधन को बड़ा फायदा हुआ है। रविवार को नीतीश कुमार ने एनडीए के साथ शामिल हो कर बिहार में नई सरकार बनाई है। नीतीश कुमार अब महागठबंधन से नाता तोड़कर एनडीए में शामिल हो गए हैं। ’24’ के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के साथ उनके सहयोगी दलों से बिहार में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद बढ़ गई है। इसके पीछे की बड़ी वजह सीएम नीतीश का एनडीए गठबंधन में वापस आना बताया जा रहा है। आइए समझते हैं कि नीतीश कुमार के एनडीए गठबंधन में शामिल होने से किस तरह बिहार में बीजेपी मजबूत हुई है।
बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन को इस बार बिहार में लोकसभा चुनाव लड़ने में काफी मुश्किलों का सामना कर पड़ सकता था। लेकिन आम चुनाव से ठीक पहले नीतीश कुमार ने एनडीए की यह कमी पूरी कर दी है। साल 2019 में बीजेपी, लोजपा और नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने बिहार में लोकसभा चुनाव लड़ा था। जिसमें एनडीए को राज्य की कुल 40 सीटों में से 39 पर जीत हासिल हुआ था। जिनमें बीजेपी को 17, जेडीयू को 16 और रामविलास यादव की पार्टी लोजपा को 6 सीटें मिली थीं।
एनडीए का बढ़ा कुनबा
इस वक्त बीजेपी के साथ जेडीयू के आने से एनडीए का भी कुनबा बढ़ा है। पहले एनडीए गठबंधन में शामिल दलों की संख्या 38 थी। अब जेडीयू के आने से यह संख्या 39 हो गई है। बीजेपी के जदयू के अलावा एनडीए गठबंधन में शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट), राष्ट्रीय लोक जन शक्ति पार्टी (पारस), लोक जन शक्ति पार्टी (रामविलास पासवान), अपना दल (सोनेलाल), एआईएडीएमके, एनपीपी, एनडीपीपी, एसकेएम, आईएमकेएमके, आजसू, एमएनएफ, एनपीएफ, आरपीआई, जेजेपी, आईपीएफटी (त्रिपुरा), बीपीपी, पीएमके, एमजीपी, एजीपी, निषाद पार्टी, यूपीपीएल, एआईआरएनसी, टीएमसी (तमिल मनीला कांग्रेस), शिरोमणि अकाली दल सयुंक्त, जनसेना, एनसीपी (अजित पवार), हम, रालोसपा, सुभासपा, बीडीजेएस (केरल), केरल कांग्रेस (थॉमस), गोरखा नेशनल लिबरेशन फ्रंट, जनातिपथ्य राष्ट्रीय सभा, यूडीपी, एचएसडीपी, जन सुराज पार्टी (महाराष्ट्र) और प्रहार जनशक्ति पार्टी (महाराष्ट्र) है।
इंडिया गठबंधन के सूत्रधार नीतीश कुमार अब एनडीए में वापस आए हैं। जिससे बीजेपी की बिहार में साल 2019 के लोकसभा चुनाव के प्रदर्शन दोहराने की उम्मीद बढ़ गई है। बीजेपी ने 2024 के लोकसभा चुनाव में 400 का आंकड़ा पार करने का लक्ष्य रखा है। जिसमें अब नीतीश कुमार अहम भूमिका निभा सकते हैं। नीतीश के एनडीए में शामिल नहीं होने से पहले ऐसा लगा रहा था कि बीजेपी इस बार बिहार में पिछला प्रदर्शन नहीं दोहरा पाएगी। बीजेपी को इस बार के लोकसभा चुनाव कहीं न कहीं इंडिया गठबंधन से दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। लेकिन इंडिया गठबंधन के सूत्रधार नीतीश कुमार का लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी से गले मिलना भी कई मायनों में खास है। हालांकि, नीतीश कुमार के एनडीए में शामिल होने से बीजेपी को कितना फायदा मिलता है। यह तो लोकसभा चुनाव के नतीजे तय करेंगे।