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महाकौशल में कई महाबलियों की अग्निपरीक्षा…

दो केंद्रीय मंत्री, चार सांसदों, पूर्व मुख्यमंत्री, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सहित कई पूर्व मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर

भोपाल, (ईएमएस)। मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव में सिर्फ चार दिन शेष बचे हैं, लेकिन महाकौशल, जहां से किसी भी पार्टी की मध्यप्रदेश में सरकार बनाने की राह निकलती है, चुनावी रण बेहद दिलचस्प होता जा रहा है। यहां मप्र की राजनीति के कई महाबली आखिरी खंदक की लड़ाई लड़ रहे हैं। महाकौशल में दो केंद्रीय मंत्री, सरकार के कई मंत्री, चार सांसद, पूर्व मुख्यमंत्री, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष, पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष सहित कई पूर्व मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। हम बता दें कि साल 2018 के विधानसभा चुनाव में महाकौशल में कांग्रेस ने 24 सीटों पर जीत हासिल की थी। जबकि भाजपा के खाते में 13 और एक सीट निर्दलीय के खाते में गई थी।

इस बार भाजपा ने महाकौशल में केन्द्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल को नरसिंहपुर और केन्द्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते को निवासा (मंडला) विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया हैं। भाजपा सांसद राव उदय प्रताप सिंह को गाडरवाड़ा और सांसद राकेश सिंह जबलपुर पश्चिम से भाजपा के उम्मीदवार हैंं। इसके अलावा मंत्री गौरीशंकर बिसेन बालाघाट, मंत्री राम किशोर कांवरे परसवाड़ा, पूर्व मंत्री तथा भाजपा के राष्ट्रीय सचिव ओमप्रकाश धुर्वे शाहपुरा डिंडौरी, पूर्व मंत्री अजय विश्नोई पाटन (जबलपुर) और पूर्व मंत्री संजय पाठक विजयराघवगढ़ कटनी विधानसभा सीट से भाजपा के उम्मीदवार हैं।

– कांग्रेस के दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर
इसी तरह से पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ अपनी परंपरागत विधानसभा सीट छिंदवाड़ा से कांग्रेस उम्मीदवार हैं। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति गोटेगांव और पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष हिना कांवरे लांजी विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में हैं। इसके साथ पूर्व मंत्री लखन घनघोरिया जबलपुर पूर्व, पूर्व मंत्री तरुण भनोत जबलपुर पश्चिम, पूर्व मंत्री ओमकार सिंह मरकाम डिंडौर और पूर्व सांसद बोध सिंह कटंगी (बालाघाट ) विधानसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार हैं।

– महाकौशल का राजनीतिक गणित
हम बता दें कि साल 2013 के विधानसभा चुनाव में महाकौशल की 38 सीटों में से भाजपा को 24 और कांग्रेस 13 सीटें मिली थीं। जबकि एक सीट निर्दलीय के खाते में गई थी। इसमें भाजपा को 43.69 प्रतिशत और कांग्रेस को 35.68 प्रतिशत वोट मिले थे। इसके बाद साल 2018 में इसके ठीक विपरीत कांग्रेस को 24 सीट तथा भाजपा को 13 सीट हासिल हुई थी। एक सीट निर्दलीय के खाते में गई थी। जिसमें भाजपा को 40.04 प्रतिशत और कांग्रेस को 42.05 प्रतिशत वोट मिले थे।

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