प्रयागराज, । विश्व में सनातन धर्म के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन महाकुंभ के ऐसे शुभ घड़ी में शामिल होने के लिए आवाहन अखाड़े के नागा परंपरा के संत इंद्र गिरी महाराज आस्था के आगे सारे दुख दर्द भूलकर मां गंगा की रेती पर ऑक्सीजन सिलेंडर के साथ पहुंचे है।
प्रयागराज में संगम की रेती पर 13 जनवरी से शुरू होने वाले महाकुंभ की औपचारिक शुरुआत हो चुकी है। प्रत्येक बारह वर्ष पर लगने वाले महाकुंभ में शामिल होने के लिए देश ही नहीं विश्व के कोने-कोने में मौजूद संत एवं सनातन प्रेमियों का आगमन तेज हो गया है। आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित सबसे प्राचीन जूना अखाड़ा के शाही छावनी प्रवेश के बाद से एक-एक कर अखाड़े संगम की रेती पर भूमिपूजन एवं धर्म ध्वजा स्थापित करके छावनी में प्रवेश कर रहे है।
इसी क्रम में तीन दिन पहले हजारों की संख्या में आह्वान अखाड़े ने पूरे लाव-लश्कर के साथ छावनी में प्रवेश किया। आह्वान अखाड़े के इंद्र गिरि महाराज अस्वस्थ होने के बावजूद शनिवार काे ऐसे पावन पर्व में शामिल होने के लिए महाकुंभ क्षेत्र में पहुंच गये हैं। वह हर पल सांस लेने के ऑक्सीजन सिलेंडर पर निर्भर हैं। उनकी छावनी में बनी कुटिया में ऑक्सीजन सिलेंडर उनके पास में रखा हुआ है। उनका कहना है कि उनकी अंतिम इच्छा थी कि वह इस कुंभ में शामिल हो और पूरी परंपरा का पालन करें।
चलने फिरने में असमर्थ इंद्र गिरि महाराज से जब महाकुंभ को लेकर पूछा गया तो उन्होंने कहा कि ये जगद्गुरु शंकराचार्य जी के द्वारा बनाई गई एक परंपरा है। हम नागा फौज के एक सिपाही हैं और हम इस परंपरा का पालन कर रहे हैं। देश में जहां भी महाकुंभ होते हम उसमें शामिल होने के लिए जाते हैं और हमारा अखाड़ा उसमें हिस्सा लेता है।