ब्रह्मोस मिसाइल को भारत और रुस ने मिलकर बनाया
मास्को । भारत और रूस की मिलकर बनाई गई दुनिया की सबसे तेज क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस के प्रति दुनिया की दीवानगी बढ़ती जा रही है। चीन की आक्रामकता से परेशान फिलीपींस के बाद अब 3 और देश ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल खरीद सकते हैं। ब्रह्मोस एयरोस्पेस के संयुक्त प्रबंध निदेशक रूस के अलेक्जेंडर बी माकसेचिक ने बताया कि चीन का पड़ोसी देश वियतनाम, दुनिया का सबसे बड़ा मुस्लिम मुल्क इंडोनेशिया और संयुक्त अरब अमीरात मिसाइल के बारे में बातचीत कर रहे हैं। ब्रह्मोस मिसाइल अपनी स्पीड और सटीक हमले के लिए पूरी दुनिया में जानी जाती है।
ब्रह्मोस मिसाइल को भारत के डीआरडीओ और रूस के एनपीओ मशिनोस्टरॉयएनिया ने मिलकर तैयार किया है। एलेक्जेंडर ने कहा, यूएई, इंडोनेशिया और वियतनाम पहली नजर में मिसाइल में अपनी रुचि दिखा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन तीन देशों के साथ ब्रह्मोस मिसाइल की सप्लाई के लिए समझौता हो सकता है। हालांकि उन्होंने नहीं बताया कि मिसाइल डील के लिए यह बातचीत अभी कहां तक पहुंची है। फिलीपीन दुनिया का पहला देश था जो कि ब्रह्मोस मिसाइल खरीद चुका है।
ब्रह्मोस मिसाइल का नाम भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मोस्कवा नदी के नाम पर रखा गया है। यह मिसाइल भारत की तीनों ही सेनाओं में शामिल है। इस मिसाइल की मारक क्षमता 300 से लेकर 500 किमी तक है। यह मिसाइल स्टील्थ तकनीक से लैस है, इसकारण मार गिराना दुश्मन के लिए आसान नहीं होता है। अब दोनों ही ब्रह्मोस मिसाइल के हाइपरसोनिक संस्करण पर मिलकर काम कर रहे हैं। इस ब्रह्मोस 2 नाम दिया गया है। यह नई मिसाइल मैक 6 की हाइपरसोनिक स्पीड से दुश्मन पर हमला करने में सक्षम होगी।
नई ब्रह्मोस मिसाइल के अंदर हाइपरसोनिक स्क्रैमजेट तकनीक लगेगी। इसके पहले फिलीपीन ने भारत के साथ साल 2022 में 37 करोड़ 50 लाख डॉलर का समझौता किया था। भारत ने फिलीपीन को एंटी शिप ब्रह्मोस मिसाइल की सप्लाई भी कर दी है। दुनिया में बढ़ रहे तनाव के बीच अब यूएई, इंडोनेशिया और वियतनाम भी भारत-रूस की इस मिसाइल की ओर देख रहे हैं। भारत के इन तीनों ही देशों के साथ करीबी संबंध हैं। वियतनाम और इंडोनेशिया जहां चीन की दादागिरी से पेरशान हैं, वहीं यूएई को ईरान और उसके प्राक्सी संगठनों के मिसाइलों से डर सताता रहता है। इसकारण वहां भी भारत के ब्रह्मोस की तरफ देख रहे हैं।