– धार्मिक ग्रंथों के आधार पर बने नाटक या टीवी सीरीज किये जा सकते हैं कॉपीराइट के तहत संरक्षित
नई दिल्ली, (हि.स.)। दिल्ली हाई कोर्ट की जस्टिस प्रतिभा सिंह की बेंच ने कहा है कि भगवत गीता और रामचरितमानस जैसे धार्मिक ग्रंथों पर किसी का कॉपीराइट नहीं है। इन धर्मग्रंथों के आधार पर बनाए गए नाटक या किसी टीवी सीरीज को कॉपीराइट के तहत संरक्षित किया जा सकता है।
हाई कोर्ट आध्यात्मिक नेता श्रील प्रभुपाद की ओर से गठित भक्ति वेदांत बुक ट्रस्ट की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा है। प्रभुपाद इंटरनेशनल सोसायटी फॉर कृष्णा कॉन्शसनेस (इस्कॉन) के संस्थापक भी थे। याचिका में कहा गया है कि प्रभुपाद एक प्रसिद्ध विद्वान, दार्शनिक और सांस्कृतिक राजदूत थे, जिन्होंने देश और विदेशों में विभिन्न हिंदू धर्मग्रंथों का संदेश फैलाया।
याचिका में कहा गया है कि प्रभुपाद ने कई व्याख्यान दिए और पुस्तकें प्रकाशित कीं, जो कई भाषाओं में पढ़ी जाती हैं। याचिका में कहा गया है कि इन सभी कार्यों का कॉपीराइट लेखक के पास है, जो 1977 में उनकी मृत्यु के बाद ट्रस्ट को हस्तांतरित कर दिया गया। याचिका में कुछ वेबसाइट्स, ऐप्स और इंस्टाग्राम हैंडल पर अपलोड किए गए कंटेंट पर रोक लगाने की मांग की गई है।
कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि कॉपीराइट किए गए कार्यों की चोरी की अनुमति नहीं दी जा सकती है। अगर ऐसी चोरी अनियंत्रित हो जाती है, तो कार्यों में कॉपीराइट काफी हद तक कमजोर हो जाएगा, जिससे राजस्व का भारी नुकसान होगा। कोर्ट ने गूगल और मेटा को ऐप और पेज हटाने का निर्देश देते हुए याचिकाकर्ता के कॉपीराइट कार्यों के उल्लंघन पर रोक लगाने का आदेश दिया।