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प्रियाकान्तजु मंदिर पर दो लाख एक हजार पार्थिव शिवलिगों का अभिषेक-पूजन

सद्कर्म, व्यवहार और मीठी वाणी से मिलता है सम्मान – देवकीनंदन महाराज

तीर्थों में पाप कर्म से बचें, मिलता है कई गुना फल : देवकीनंदन महाराज

मथुरा (हि.स.)। तीर्थों में चरण पड़ते ही मनुष्य के पाप क्षीण होने लगते हैं। भगवान के धाम में किये गये पुण्य कई गुना फलदायी होते हैं। प्रभु दर्शन को आने वाले भक्तों को तीर्थ स्थानों पर पाप कर्म करने से बचना चाहिये। क्योंकि यहां किये पापों का फल भी कई गुना प्राप्त होता है।

उक्त विचार गुरुवार काे देवकीनंदन महाराज ने प्रियाकान्तजु मंदिर पर चले रहे शिवमहापुराण कथा में व्यक्त किये। यहां पार्थिव शिवलिंग निर्माण महोत्सव में भक्त ब्रज की माटी से शिवलिंग बना रहे हैं।

शिवभक्तों को कथा श्रवण कराते हुये देवकीनंदन महाराज ने कहा कि वास्तविक सम्मान धन और बल से नहीं मिलता है। सद्कर्म, व्यवहार और मीठी वाणी से सम्मान प्राप्त होता है। ब्रह्मा जी अपनी पूजा करवाने के लिये शिवजी की निंदा करने लगे तब भैरव ने उनके एक मुख का क्षय कर दिया था।

उन्होंने कहा कि मन से जो पाप होते हैं वे ध्यान से मिटते हैं, वचनों के द्वारा जो पाप हो जाते हैं उनको मिटाने के लिये जाप करना चाहिये। अगर शरीर कर्म से पाप हो जाये, तब व्यक्ति को तप और व्रतों का आश्रय लेकर प्रायश्चित करना चाहिये। इससे पूर्व मंदिर परिसर में शिवभक्तों ने मिट्टी से दो लाख एक हजार पार्थिव शिवलिंग आकृति बनाकर उनकी पूजा अर्चना की। दूध-दही-जल आदि से शिवलिंगों का सामूहिक अभिषेक कर विश्व शांति के लिये मंगल कामना की। शिवलिंगों का यमुना में विर्सजन किया गया।

मुख्य यजमान सुधीर कुमार वर्मा, श्रीपाल जिंदल, कामिनी मिश्रा ने व्यासपीठ पूजन किया। एसपी श्रीवास्तव, ब्रजलाल सोनी, पुष्पा पाण्डेय, सावित्री सिंह, संदीप गुप्ता, आचार्य श्यामसुन्दर शर्मा, चन्द्रप्रकाश शर्मा, इन्द्रेश मिश्रा, देव शर्मा आदि शामिल रहे।

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