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प्रयागराज महाकुंभ में बिखरेगी उत्तराखंड की खूबसूरत ऊनी वस्त्रों की कारीगरी की चमक, वैश्विक मंच पर होगी…

देहरादून । प्रयागराज महाकुंभ 2025 में उत्तराखंड की खूबसूरत ऊनी वस्त्रों की कारीगरी और पारंपरिक डिज़ाइन श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करेंगी। ये वस्त्र न केवल हिमालय की ठंडक बल्कि उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का भी प्रतीक हैं।

वैश्विक मंच पर होगी भारतीय कला की पहचान

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि महाकुंभ 2025 हमारी सांस्कृतिक धरोहर और पारंपरिक कारीगरी को प्रदर्शित करने का एक शानदार अवसर है। उत्तराखंड के ऊनी वस्त्र, जो अपनी उत्कृष्ट गुणवत्ता, प्राकृतिक रंगों और पारंपरिक डिज़ाइनों के लिए प्रसिद्ध हैं, इस आयोजन में विशेष आकर्षण का केंद्र बनेंगे। हमारा लक्ष्य न केवल इन वस्त्रों को वैश्विक पहचान दिलाना है, बल्कि इनसे जुड़े स्थानीय कारीगरों को आर्थिक संबल और उनके हुनर को एक व्यापक मंच प्रदान करना है।

महाकुंभ में उत्तराखंड के ऊनी वस्त्रों की प्रदर्शनी

महाकुंभ 2025 के दौरान उत्तराखंड के ऊनी वस्त्रों की प्रदर्शनी का आयोजन होगा, जिसमें लोग न केवल इन वस्त्रों को देख सकेंगे, बल्कि इन्हें खरीदने का भी अवसर मिलेगा। इसके अलावा, कारीगर लाइव बुनाई और रंगाई प्रक्रिया दिखाकर इन वस्त्रों की उत्पत्ति और कड़ी मेहनत को श्रद्धालुओं तक पहुंचाएंगे।

कारीगरी और परंपरा का संगम

उत्तराखंड के ऊनी वस्त्रों में पारंपरिक कला और प्राकृतिक संसाधनों का अद्भुत मिश्रण होता है। ये वस्त्र पहाड़ी क्षेत्रों की ठंडी हवाओं से बचने के लिए आदर्श होते हुए भी अपनी अनूठी डिज़ाइन, बारीक कढ़ाई और प्राकृतिक रंगों के कारण खास पहचान रखते हैं। भोटिया शॉल, कुमाऊं और गढ़वाल की पारंपरिक डिज़ाइनों वाली जैकेट्स और हल्के लेकिन गर्म स्टोल्स इन वस्त्रों को विशेष बनाते हैं।

स्मारकीय उत्पाद और लोकल कारीगरों का समर्थन

भोटिया शॉल, गढ़वाल और कुमाऊं डिज़ाइन वाली जैकेट्स और प्राकृतिक रंगों से बने इन वस्त्रों को महाकुंभ में प्रदर्शित किया जाएगा, जो न केवल पर्यावरण के अनुकूल होंगे, बल्कि स्थानीय कारीगरों को भी मंच प्रदान करेंगे। इससे स्थानीय कारीगरों को वैश्विक पहचान मिल सकेगी और उनके आर्थिक विकास में मदद मिलेगी।

पर्यावरण-अनुकूल फैशन और ग्लोबल पहचान

उत्तराखंड के ऊनी वस्त्र टिकाऊ और पर्यावरण-अनुकूल फैशन का बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। इन वस्त्रों की बिक्री महाकुंभ के दौरान न केवल राज्य के कारीगरों के लिए आय का स्रोत बनेगी, बल्कि यह भारत और दुनिया के सामने उत्तराखंड की संस्कृति और परंपरा को उजागर करने का शानदार अवसर भी होगा।

उत्तराखंड के कारीगरों के लिए आर्थिक समृद्धि का अवसर

महाकुंभ 2025 में उत्तराखंड के ऊनी वस्त्र न केवल श्रद्धा और आस्था का प्रतीक बनेंगे, बल्कि एक अनमोल सांस्कृतिक धरोहर के रूप में लोगों को एक अनूठा अनुभव प्रदान करेंगे। यह आयोजन उत्तराखंड के कारीगरों के लिए आर्थिक समृद्धि का अवसर होने के साथ-साथ वैश्विक मंच पर भारतीय कला की पहचान स्थापित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
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