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प्रतियोगी परीक्षाओं में नकल एपेडमिक जैसा अपराधियों पर हो कठोर कार्रवाई : हाईकोर्ट

-एजेंसियों के नकल रोकने की विफलता राज्य के लिए दुःखद : कोर्ट
-आदेश की प्रति प्रमुख सचिव के मार्फत कानून मंत्री को भेजने का आदेश

-दूसरे के बदले परीक्षा देने वाले आरोपी को जमानत पर रिहा करने से इंकार

प्रयागराज  (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दूसरे के बदले परीक्षा देने के आरोपी रोशन सिंह को जमानत पर रिहा करने से इंकार कर दिया है और कहा है कि प्रतियोगी परीक्षाओं में नकल एपेडमिक बन गयी है। जिसका समाज व शिक्षा तंत्र व योग्य छात्रों पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। अपराधियों पर कठोर कार्रवाई होनी चाहिए।

राज्य सरकार को प्रतियोगी परीक्षाओं की शुचिता बनाये रखने व योग्य प्रतियोगियों का परीक्षा तंत्र पर भरोसा कायम रखने के लिए ऐसे अपराधियों पर सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।

कोर्ट ने जिम्मेदार एजेंसियों की नकल पर प्रभावी नकेल कसने में नाकाम रहने पर राज्य के लिए दुःखद स्थिति बताया है। वे धोखेबाजों को पकड़ने में विफल है। कोर्ट ने आदेश की प्रति प्रमुख सचिव विधि एवं न्याय को कानून मंत्री के समक्ष रखने के लिए प्रेषित करने का आदेश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति मंजूरानी चौहान ने रोशन सिंह की जमानत अर्जी को खारिज करते हुए दिया है।

मालूम हो कि आर्य कन्या इंटर कालेज बांदा की प्राचार्या पूनम गुप्ता ने कोतवाली नगर में एफआईआर दर्ज कराई। 26 जून 23 को ग्राम विकास अधिकारी भर्ती 2018 की पुनर्परीक्षा चल रही थी कि लखनऊ कंट्रोल रूम से फोन आया कि रंजन गुप्ता का बायोमेट्रिक संदिग्ध है। जांच की गई तो रंजन गुप्ता के स्थान पर उसके नाम से याची रोशन सिंह परीक्षा देते पाया गया। 29 जून को गिरफ्तार कर लिया गया। याची का कहना था कि उसे फंसाया गया है। मौके से गिरफ्तारी नहीं की गई है। सह अभियुक्त को जमानत मिल चुकी है। इसलिए उसे भी जमानत पर रिहा किया जाय।

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