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पाल्हापुर में हुए नृसंश हत्याकांड की उलझी गुत्थी बनी गले की फांस, पुलिस के खुलासे से संतुष्ट नहीं….


अजीत घटना को अंजाम देने में किसी अन्य की भूमिका को रहा नकार

महमूदाबाद, सीतापुर। पाल्हापुर में हुए नृसंश हत्याकांड की उलझी गुत्थी पुलिस के लिए गले की फांस बनती जा रही है। काफी प्रयासों के बाद भी अजीत घटना को अंजाम देने में किसी अन्य की भूमिका को नकार रहा है। पुलिस इतनी बड़ी जघन्य वारदात को केवल अजीत द्वारा अंजाम दिए जाने की बात कह रही है, किंतु लोगों के गले से पुलिस की कहानी उतर नहीं रही है। पुलिस अधीक्षक चक्रेश मिश्र बुधवार को सुबह फिर कोतवाली महमूदाबाद पहुंचे और हिरासत में लिए गए सभी से बारी-बारी पूंछतांछ की।

सूत्र बताते हैं कि क्राइम ब्रांच, एसटीएफ और सीतापुर पुलिस की संयुक्त टीमों द्वारा अजीत सिंह से कई चक्र की पूंछतांछ के बाद भी वह घटना को अकेले अंजाम देने की बात कह रहा है। सूत्रों की माने तो अजीत ने बताया कि उसने लखनऊ से वापस आने के बाद एक मेडिकल स्टोर से नींद की दवाई खरीदी थी क्योकि उसे पता था कि शुक्रवार को अनुराग की पत्नी प्रियंका अपने बच्चों के साथ गांव आएगी। वह शाम करीब आठ बजे घर पहुंचा और नशीली दवा घर में बनी खिचड़ी में मिलाई किंतु किसी के खाना न खाने की वजह से उसका सारा प्लान फेल हो गया। शुक्रवार की रात उसने कमरे में सो रही अनुराग की पत्नी प्रियंका सिंह के एसी का तार काट दिया। प्रियंका जब कमरे में उमस बढ़ने पर बाहर निकली तो अजीत ने कहासुनी के बाद उसे गोली मार दी और सिर हथौड़ों से कूचने लगा। गोली की आवाज चलने पर मां सावित्री देवी छत पर आ गईं और माजरा देख अजीत से भाग जाने की बात कहने लगीं। इसपर आक्रोशित अजीत ने मां के सिर पर भी हथौड़े से वार कर घायल कर दिया। अजीत की क्रूरता देख मां सावित्री छत से नीचे अपने कमरे की ओर भागीं। पीछे से आए अजीत ने मां को पुनः हथौड़े से मार कर मौत के घाट उतार दिया। इसके बाद वह अनुराग के कमरे में पहुंचा और उसे गोली मार दी। इसके बाद वह ऊपर पहुंचा और बड़ी बेटी आश्वी को जगाकर यह कहकर नीचे ले आया कि देखो चलकर तुम्हारे पापा के सिर में खून निकल रहा है। आश्वी सिर की ओर खड़ी हो झुककर जब अनुराग को देखने लगी तो अजीत ने गोली चला दी जो आश्वी के पेट को चीरती हुई अनुराग के सिर में जाकर फंस गई। इसके बाद वह ऊपर आया और बेटी आरना व बेटे आद्विक को कमरे से निकालकर दूसरी मंजिल पर ले जाकर नीचे फेंक दिया। वारदात को अंजाम देने के बाद अजीत ने सुबूत मिटाने की भी कोशिश की थी।

कोई भी बोलने को नहीं तैयार
गांव के लोग घटना की चर्चा तो कर रहे हैं लेकिन कोई भी इस मसले पर बोलने को तैयार नहीं था। सभी का कहना था-गांव के प्रभाकर ने अनुराग के बच्चों को अस्पताल ले जाने में मदद की थी, लेकिन पुलिस उसे भी उठा ले गई। ऐसे में कोई भी अब इस मसले पर ज्यादा बोलना नहीं चाहता।

पुलिस ने 16 लोगों से की पूछताछ
बुधवार को सुबह एसपी चक्रेश मिश्र करीब साढ़े 11 बजे महमूदाबाद कोतवाली पहुंचे और लोगों से हो रही पूंछतांछ की मॉनिटरिंग करते रहे। क्राइम ब्रांच व सीतापुर की संयुक्त पुलिस टीमों द्वारा अजीत के ताऊ आरपी सिंह, चचेरे भाई आशुतोष सिंह सहित 16 लोगों से पूंछतांछ की गई।

होगी अजीत के निलंबन की कार्रवाई
घटना के करीब पांच घंटे बाद अजीत द्वारा विभागीय वेबसाइट पर ऑनलाइन मेडिकल लीव लिया जाना उसके शातिर दिमाग की कहानी खुद व खुद बयां कर रहा है। वही इस संबंध में रामपुर मथुरा विकासखंड के बीईओ उदयमणि पटेल ने बताया कि एफआईआर की प्रति पुलिस से मिलते ही अजीत के निलंबन की संस्तुति कर दी जायेगी।

पुलिस के खुलासे से संतुष्ट नहीं मृतक का साला
मृतका प्रियंका सिंह के भाई अंकित सिंह ने बताया कि पुलिस के खुलासे से संतुष्ट हैं। किंतु एक ही व्यक्ति घटना को अंजाम दे सकता है इस बात से संतुष्ट नहीं हैं। घटना में शामिल अन्य लोगों को भी पुलिस बेनकाब करे। इसमें वे लोग और शामिल हैं, जिन्हें अनुराग की मौत के बाद संपत्ति का लाभ मिल सकता है।

किसान संगठन उतर सकते हैं मैदान में
किसान यूनियन के परमजीत सिंह से अपनी फेसबुक पर पोस्ट कर लिखा है कि पहले पुलिस और अजीत के द्वारा प्रगतिशील किसान अनुराग सिंह को सबकी हत्या का दोषी होना बताया गया था, लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट और मृतका प्रियका के भाई अंकित सिंह के द्वारा आरोपों के बाद मामले में नया मोड़ आया और अजीत सिंह द्वारा घटना को अंजाम दिया जाना पुलिस द्वारा बताया जाने लगा। लेकिन अभी तक पुलिस द्वारा इस घटना का खुलासा नहीं किया है। संयुक्त किसान मोर्चा सीतापुर सहित सभी किसान संगठनों ने घटना के जल्द खुलासे की मांग करते हुए कहा कि दोषियों का केस फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाकर जल्द से जल्द फांसी की सजा दी जाय। आगे लिखा है कि अगर जल्द खुलासा नहीं हुआ तो किसान संगठन आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।

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