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पहले चरण में ओटीएस से जुड़े 20 लाख उपभोक्ता, जल्दी आने वालों को मिला अधिकतम लाभ

कोष में जमा हुए 2 हजार करोड़ रुपए

बिजली बिल में बकाये को चुकाने के लिए योगी सरकार द्वारा शुरू की गई एकमुश्त समाधान योजना को मिला जन समर्थन

पहले चरण के अंतिम दिन 58 हजार से ज्यादा उपभोक्ताओं ने कराया पंजीकरण, 57 करोड़ से ज्यादा राशि की हुई वसूली

30 नवंबर को खत्म हुआ योजना का पहला चरण, 1 से 15 दिसंबर तक दूसरा और 16 से 31 दिसंबर तक चलेगा तीसरा चरण

लखनऊ । बिजली उपभोक्ताओं को बकाये की राशि चुकाने के लिए योगी सरकार द्वारा शुरू की गई एकमुश्त समाधान योजना का 30 नवंबर को पहला चरण पूरा हो गया। पहले चरण में इस योजना का करीब 20 लाख लोगों ने लाभ उठाया। इसके माध्यम से सरकार ने भी करीब 2 हजार करोड़ रुपए के राजस्व की वसूली की है। अकेले 30 नवंबर को 58 हजार से ज्यादा उपभोक्ताओं ने योजना में पंजीकरण कराया तो वहीं इस दिन कुल मिलाकर 57 करोड़ से ज्यादा की धनराशि कोष में जमा हुई। उल्लेखनीय है कि योगी सरकार ने प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं को बिजली बिल की बकाया राशि के भुगतान में राहत देते हुए 8 नवंबर को एकमुश्त समाधान योजना (ओटीएस) की शुरुआत की थी। उपभोक्ताओं ने योजना का लाभ लेने के लिए प्रतिदिन बड़ी संख्या में अपना पंजीकरण कराया। योजना के तहत दो तरह के लोग इसका लाभ ले रहे हैं। एक ओटीएस नॉर्मल और दूसरा ओटीएस थेफ्ट (जिन पर बिजली चोरी का बकाया है)। यह योजना 8 नवंबर से 31 दिसंबर 2023 तक कुल 54 दिनों तक तीन खंडों में चलाई जा रही है। इस योजना का पहला चरण 8 से 30 नवंबर तक चला है, जबकि अब एक दिसंबर से 15 दिसंबर तक इसके दूसरे चरण की शुरुआत हो चुकी है। वहीं, तीसरा चरण 16 दिसंबर से 31 दिसंबर तक चलेगा।

जल्दी आने वालों को मिला अधिकतम लाभ
उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लि. (यूपीपीसीएल) के अध्यक्ष डॉ. आशीष गोयल ने बताया कि इस योजना की खास बात ये थी कि जो उपभोक्ता जल्दी आएंगे, वो ज्यादा लाभ पाएंगे। खासतौर पर 30 नवंबर तक पंजीकरण कराने वाले उपभोक्ताओं को ज्यादा लाभ प्राप्त हुआ है। इसके तहत उपभोक्ताओं को एकमुश्त या आसान किस्तों में भुगतान करने की व्यवस्था की गई है। एक किलोवाट भार तक वाले घरेलू उपभोक्ताओं को 12 तथा एक किलोवाट से अधिक भार वाले उपभोक्ताओं को 6 किस्तों में बकाया भुगतान करने की व्यवस्था की गई है। इसी तरह निजी नलकूप उपभोक्ताओं को भी 12 किस्तों में व अन्य को 3 किस्तों में भुगतान की सुविधा मिली है। विद्युत चोरी के मामलों में राजस्व निर्धारण पर दो तिहाई छूट के साथ ही जिन उपभोक्ताओं के विरुद्ध आरसी जारी की जा चुकी है, उन्हें भी योजना में शामिल किया गया है। न्यायालय में लंबित वादों में भी योजना का लाभ दिया जा रहा है। योजना का लाभ लेने के लिए उपभोक्ता किसी भी विभागीय बिलिंग काउंटर पर, एसडीओ या एक्सीएन कार्यालय पर या यूपीपीसीएल की वेबसाइट पर योजना में पंजीकरण कर इसका लाभ ले सकते हैं।

पूर्वांचल और मध्यांचल में दिखा सबसे ज्यादा उत्साह
ओटीएस के तहत सर्वाधिक उत्साह पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लि.में देखने को मिला है। यहां सर्वाधिक 5.5 लाख से ज्यादा लोगों ने योजना में अपना पंजीकरण करवाया है। सिर्फ 30 नवंबर को ही यहां करीब 19 हजार लोगों ने पंजीकरण कराया। 30 नवंबर को योजना के माध्यम से विभाग ने यहां 20.5 करोड़ से ज्यादा की वसूली की है तो ओवरआल 30 नवंबर तक अकेले पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम करीब 640 करोड़ रुपए की वसूली करने में सफल रहा है। यह कुल प्राप्त राजस्व का करीब 30 प्रतिशत है। इसी तरह, मध्यांचल विद्युद वितरण निगम ने भी 30 नवंबर तक करीब 490 करोड़ रुपए की धनराशि जमा की है। योजना की शुरुआत से लेकर 30 नवंबर तक कुल 5.45 लाख से ज्यादा लोगों ने योजना का लाभ लेने के लिए इसमें अपना पंजीकरण कराया है। सिर्फ 30 नवंबर की बात करें तो 17 हजार से अधिक लोगों ने अकेले एक दिन में पंजीकरण कराया, जिसके माध्यम से विभाग ने 15 करोड़ से ज्यादा की धनराशि वसूल की।

पश्चिमांचल और दक्षिणाचल भी नहीं रहा पीछे
पूर्वांचल और मध्यांचल की तरह पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम के तहत योजना का लाभ लेने में लोगों ने गजब का उत्साह दिखाया। पश्चिमांचल में 30 नवंबर तक योजना के तहत 485 करोड़ से अधिक की धनराशि वसूल की गई, जबकि 4.40 लाख लोगों से ज्यादा लोग योजना से जुड़े। सिर्फ 30 नवंबर को यहां करीब 12 हजार लोगों ने पंजीकरण कराया और एक दिन में विभाग को 12 करोड़ से ज्यादा के राजस्व की प्राप्ति हुई। योजना में दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम ने भी अपना योगदान दिया, लेकिन बाकी डिस्कॉम्स की तुलना में यहां थोड़ा कम राजस्व प्राप्त हुआ। दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के तहत 30 नवंबर तक 370 करोड़ से ज्यादा की वसूली हुई, जबकि 4.35 लाख से ज्यादा लोगों ने योजना में अपना पंजीकरण कराया। अकेले 30 नवंबर को करीब 11 हजार लोग योजना का लाभ लेने के लिए पंजीकरण कराने पहुंचे तो 9 करोड़ से ज्यादा की राशि विभाग के काउंटर व अन्य माध्यमों से जमा हुई।

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