ढाई साल की उम्र में माता पिता का हो गया था देहांत
दूसरों ने अनाथ समझकर अपनाया लेकिन कुछ साल बाद दिया था छोड़
18 साल तक बनारस के एक एनजीओ में रही थी मृतका
लखनऊ। राजधानी के गोमतीनगर इलाके में किराए पर रहने वाली युवती ने फांसी लगाकर जीवन लीला समाप्त कर ली। लेकिन जितनी आसानी से उसने मौत को गले लगाया उससे कहीं ज्यादा दर्दनाक उसका अतीत था। शोभना पाण्डेय 24 जब महज ढाई साल की थी, इसी दौरान उसके माता पिता दुनिया से चले गए और वो अनाथ हो गई थी। तब उसे एक परिवार ने अपनाया जहां कुछ सालों तक साथ में रही लेकिन कहते है कि गैर तो गैर होता है उन लोगों ने भी उसे नहीं अपनाया और मारने पीटने लगे । जहां से छोटी सी उम्र में वो भाग निकली और ट्रेन से साल 2010 में पटना पहुंच गई जहां रेलवे स्टेशन पर जीआरपी ने उसे पकड़ लिया और एक एनजीओ को सौंप दिया जहां करीब 18 साल वही रही। और फिर दिल्ली चली गई और करीब पिछले साल लखनऊ आई थी। शोभना पांडेय पुत्री स्वर्गीय अरविन्द निवासी जनपद वाराणसी गोमतीनगर स्थित ई-1/219 विनय खंड में किराए पर रहकर फिनिक्स मॉल में नौकरी करती थी। करीब दो माह पहले उसकी नौकरी छूट जाने के कारण बहुत परेशान थी। और इधर-उधर इंटरव्यू देने के बाद नौकरी नहीं मिल रही थी। बीती रात करीब दस बजे के आसपास कमरे का दरवाजा बंद कर सोने चली गई जहां वो आखिरकार इतनी परेशानियों से बचपन गुजरने वाली युवती जिन्दगी की जंग हार गई और कमरे में लगे पंखे से दुपट्टे का फंदा बनाकर खुद को हमेशा के खामोश कर लिया। सोमवार सुबह जब मकान मालिक सीढ़ियों से नीचे उतरे तो देखा की कमरे की लाइट जल रही और खिड़की खुली जब अंदर देखा तो उनके होश उड़ गए आनन फानन में घटना की खबर पुलिस को दी मौके पर पहुंची पुलिस ने दरवाजा तोड़कर शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा। पुलिस के अनुसार मृतका का कोई नही नौकरी जाने से तनाव में थी पीएम रिपोर्ट के आधार पर मामले में आगे की कार्रवाई की जाएगी।