वैक्सीन के लिए आईसीएमआर ने शोध किया शुरू
नई दिल्ली, (हि.स.)। देश में एक बार फिर निपाह वायरस का खतरा बढ़ रहा है। अब तक छह लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं जिसमें से दो लोगों की मौत हो चुकी है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महानिदेशक डॉ राजीव बहल ने कहा कि कोरोना के मुकाबले निपाह वायरस 40-70 फीसदी तक ज्यादा जानलेवा है। हालांकि निपाह वायरस के संक्रमण की रफ्तार कोरोना वायरस की तुलना में काफी कम होती है। यह केवल तभी फैल सकता है जब कोई संक्रमित मरीज के संपर्क में आएं।
शुक्रवार को आयोजित संवाददाता सम्मेलन में आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने बताया कि अभी संस्थान के पास सिर्फ 10 मरीजों के लिए मोनोक्लोनल एंटीबॉडी उपलब्ध है। सरकार ने मोनोक्लोनल एंटीबॉडी की 20 डोज और मंगवाई है। मरीज को वैक्सीन की डोज संक्रमण के शुरुआती समय में दी जाती है। मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कितनी सटीक है, इसे लेकर परीक्षण चल रहा है।
सावधानी बरतने से ही बचाव
डॉ. बहल ने बताया कि लोगों को निपाह वायरस के संक्रमण से बचने के लिए जागरुक किया जा रहा है। इसके लिए बचाव के तरीकों को लोगों को बताया जा रहा है। इनमें लोगों को अच्छी तरह हाथ धोने, मास्क पहनने की सलाह दी गई है। साथ ही संदिग्ध मरीज से दूर रहने की सलाह दी गई है क्योंकि अभी तक जो मामले सामने आए हैं, वो सभी मरीज के संपर्क में आने से संक्रमित हुए। जिन जगहों पर निपाह वायरस से संक्रमित मरीज मिले हैं, उन्हें क्वारंटीन कर दिया गया है।
डॉ. राजीव बहल ने बताया कि संक्रामक बीमारियों के लिए 12 अहम बिंदुओं की पहचान की गई है, जिनमें एक व्यक्ति से दूसरे में न फैलने वाले संक्रामक रोग, बच्चों के जन्म से जुड़ी समस्याएं और पोषण के साथ ही प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल पर रिसर्च की जाएगी।