मीरजापुर, (हि.स.)। विंध्य पर्वत एवं गंगा के मिलन स्थल पर विंध्याचल धाम देश की प्राचीन धार्मिक एवं आध्यात्मिक विरासत है। मीरजापुर जनपद विंध्याचल यानी विंध्यधाम के नाम से ही विश्व भर में जाना जाता है। खूबसूरत शहर के बारे में यह भी कहा जाता है कि यह इतिहास से भी पुराना है।
विंध्य क्षेत्र में हर त्योहार को अपनी अनूठी शैली के लिए जाना जाता है और यहां तक कि हमें यह भी कहना होगा कि त्यौहार इस जगह की सांस्कृतिक विरासत का अभिन्न अंग है। धार्मिक रूप से विंध्याचल धाम में विश्व भर से श्रद्धालु आते हैं। दर्शन-पूजन करने के साथ विंध्य पर्वत व मां गंगा के किनारे विभिन्न घाटों पर श्रद्धा का बोलबाला रहता है। मां विंध्यवासिनी का आंगन शांति और सुकून चाहने वाले लोगों के लिए एक आदर्श स्थान बनाती हैं।
पुराणों साहित्यों के अनुसार ‘देव पर्व या देव दीपावली सत्य-असत्य की कहानी’ का सूचक है। अंधकार का अंत और रोशनी की जीत का प्रतीक है देव दीपावली। कहा जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था। राक्षस से मुक्ति मिलने की खुशी मनाने देवी-देवता इस दिन काशी के गंगा घाट पर दिवाली मनाने उतरे थे, तब से इस त्योहार को मनाया जा रहा है। इसलिए इस त्योहार को देव दीपावली कहा जाता है। इस दिन काशी और गंगा घाटों पर काफी रौनक रहती है और दीपदान किया जाता है।
तब से मनाई जा रही देव दीपावली
ज्योतिषाचार्य डा. रामलाल त्रिपाठी के मुताबिक, त्रिपुरासुर नाम के एक राक्षस ने धरती वासियों को परेशान कर रखा था और उससे त्रस्त होकर सभी देवतागण भगवान शिव के पास पहुंचे। भगवान शिव ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था। उससे मुक्ति मिलने के बाद देवता भगवान शिव की नगरी काशी पहुंचे और वहां दीप प्रज्जवलित कर खुशी मनाई। तब से लेकर आज तक यह त्योहार मनाया जा रहा है।
इस दिन मनाई जाएगी देव दीपावली
इस बार देव दीपावली 26 नवम्बर रविवार को मनाई जाएगी। इसे त्रिपुरोत्सव और त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन देवी-देवताओं की विधिवत पूजा करने से आशीर्वाद प्राप्त होता है और उनकी कृपा बनी रहती है। इस दिन गंगा नदी में स्नान करने से सारी मनोकामना पूर्ण होती हैं। देव दीपावली के दिन विंध्य क्षेत्र में असंख्य दीप जलाए जाएंगे। इसके लिए तैयारी पूरी कर ली गई है।