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देवता-राक्षस नहीं, राजा और ऋषि के युद्ध में हुआ था ब्रह्मास्त्र का पहला प्रयोग,मची थी ऐसी तबाही

पौराणिक कथाओं के अनुसार हमारे देवी देवताओं के पास एक से बढ़कर एक कई दिव्यास्त्र थे। इसमें ब्रह्मास्त्र एक ऐसा अस्त्र था जो सबसे शक्तिशाली और विनाशकारी था। इसमें कई परमाणु बम जितनी पॉवर थी। इस अस्त्र को खुद ब्रह्मदेव ने बुरे लोगों को खत्म करने के लिए बनाया था। महाभारत और रामायण में कई जगह इसका इस्तेमाल हुआ था। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस ब्रह्मास्त्र को सबसे पहले चलाने वाला कोई देवता या राक्षस नहीं बल्कि एक ऋषि था। इस ऋषि ने एक राजा पर ब्रह्मास्त्र चलाया था।

नंदिनी गाय को हथियाना चाहते थे विश्वामित्र
बहुत समय पहले की बात है। एक गाधी नाम के राजा हुआ करते थे। उनका एक विश्वामित्र (King Vishwamitra) नाम का पुत्र था। एक दिन राजा विश्वामित्र अपनी सेना को लेकर जंगल में शिकार करने निकले। लेकिन वह रास्ता भटक गए। कई घंटे हो गए उन्हें रास्ता नहीं मिला। राजा व सेना भूख से तड़पने लगी। तभी उन्हें एक आश्रम दिखाई दिया। ये आश्रम रघुवंश के कुलगुरु महर्षि वशिष्ठ (Rishi Vashishta) का था।

 

महर्षि वशिष्ठ ने राजा व सेना का अच्छे से आदर सत्कार किया। सभी को कुछ ही देर में पेटभर और स्वादिष्ट भोजन उपलब्ध कराया। राजा ने ऋषि से पूछा कि आप ने इतनी जल्दी सभी के लिए भोजन की व्यवस्था कैसे की? इस पर ऋषि बोले कि मेरे पास नंदिनी नाम की एक गाय है। ये गाय स्वर्ग की कामधेनु गाय की संतान हैं। इंद्रदेव ने इसे मुझे भेंट में दी थी। इस नंदिनी गाय से जो भी मांगा जाता है वह उसे तुरंत प्रदान कर देती है।

महर्षि वशिष्ठ ने मार दी राजा की सेना व पुत्र
इस गाय के बारे में सुनकर राजा विश्वामित्र ने महर्षि वशिष्ठ से उनकी गाय मांगना चाही। बदले में ढेर सारा धन देने का वादा भी किया। लेकिन ऋषि ने इस ऑफर को ठुकरा दिया। कहा कि नंदिनी गाय मुझे अपने प्राणों से भी ज्यादा प्रिय है। मैं इसे बेच नई सकता हूँ। यह सुन राजा को लगा ऋषि उनका अपमान कर रहा है। ऐसे में उन्होंने सेना को नंदिनी गाय को बलपूर्वक छीनने का आदेश दिया।

 

हालांकि जैसे ही सैनिक नंदिनी गाय को पकड़ने लगे, उसने गुरु वशिष्ठ की आज्ञा पर भयंकर रूप धारण कर लिया। राजा की पूरी सेना को खत्म कर दिया। इसके बाद महर्षि वशिष्ठ को क्रोध आया। उन्होंने राजा विश्वामित्र के एक पुत्र को छोड़कर बाकी सभी को शाप दिया और वे भस्म हो गए।

जब युद्ध में हुआ ब्रह्मास्त्र का पहली बार प्रयोग

इस घटना के बाद राजा विश्वामित्र का मन गुस्से और बदले की भावना से भर गया। पुत्रों की मृत्यु और हार का बदला लेने के लिए उन्होंने भगवान शिव की तपस्या की। इससे उन्हें दिव्यास्त्र प्राप्त हुआ जिसे लेकर वे महर्षि वशिष्ठ से युद्ध करने जा पहुंचे। लेकिन महर्षि वशिष्ठ ने अपना ब्रह्मास्त्र निकाला और विश्वामित्र के हर अस्त्र-शस्त्र को नष्ट कर दिया।

 

अंत में वे ब्रह्मास्त्र से राजा विश्वामित्र पर पूरी शक्ति से हमला करने लगे। इससे तीव्र ज्वाला उठने लगी। पूरे संसार में हाहाकार मचने लगा। इसके बाद देवी देवता स्वर्ग से धरती पर आए। उन्होंने महर्षि वशिष्ठ ने ब्रह्रास्त्र वापस लेने की विनती की। महर्षि वशिष्ठ ने भी सृष्टि के कल्याण हेतु अपने ब्रह्मास्त्र को वापस ले लिया। और इस तरह इस ब्रह्मास्त्र का सबसे पहहला उपयोग एक ऋषि ने राजा पर किया।

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