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दंगे की रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद मुरादाबाद में अलर्ट, सोशल मीडिया पर भी नजरें

1980 के मुरादाबाद दंगों की रिपोर्ट सामने आने के बाद मुरादाबाद में पुलिस अलर्ट मोड पर है। एहतियाती तौर पर मिश्रित आबादी वाले संवेदनशील स्थानों पर पुलिस का मूवमेंट बढ़ा दिया गया है। भीड़ वाले स्थानों पर खास तौर पर पुलिस की पैनी निगाहें हैं। आयोग की रिपोर्ट के बाद बयानबाजी कर रहे नेताओं और विभिन्न संगठनों पर भी नजर रखी जा रही है।

दंगों की जांच के लिए गठित किए गए जस्टिस एमपी सक्सेना आयोग की जांच रिपोर्ट 43 साल बाद योगी सरकार ने मंगलवार को विधानसभा में पेश की थी। इसमें दंगों के मुख्य साजिशकर्ता के रूप में मुस्लिम लीग के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष डॉ. शमीम अहमद खां का नाम सामने आया है। इसके बाद से ही आयोग की रिपोर्ट को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो गया है। लिहाजा पुलिस-प्रशासन सतर्क है और बयानबाजियों पर नजरें बनाए हुए है। इसके साथ ही सोशल मीडिया पर इसे लेकर की जा रही पोस्ट और उसके कमेंट्स पर भी मुरादाबाद पुलिस के सर्विलांस सेल की नजरें हैं।

मुस्लिम लीग ने उठाई खुली अदालत से जांच की मांग

मुस्लिम लीग के राष्ट्रीय सह सचिव कौसर हयात खां ने आरोप लगाया है कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार के इशारे पर आयोग ने झूठी रिपोर्ट तैयार की थी। मुस्लिम लीग ने मांग की है कि खुली अदालत लगाकर 1980 के मुरादाबाद दंगों की जांच की जाए। जांच में सिर्फ 13 अगस्त 1980 की घटनाओं को न रखकर अगस्त 1980 से लेकर दिसंबर 1980 तक मुरादाबाद में हुई सभी घटनाओं को शामिल किया जाए। मुस्लिम लीग का दावा है कि 13 अगस्त 1980 को मुरादाबाद ईदगाह में हुई घटना सांप्रदायिक दंगा नहीं थी बल्कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार के इशारे पर मुस्लिमों के खिलाफ पुलिस का इकतरफा एक्शन था। जिसे बाद में सांप्रदायिक दंगे का रंग दिया गया।

लोकल इंटेलिजेंस यूनिट को एक्टिवेट किया
मुरादाबाद दंगों की रिपोर्ट विधानसभा में पेश होने के बाद मुरादाबाद पुलिस के उच्चाधिकारियों ने एक मीटिंग करके संवेदनशील इलाकों के सुरक्षा इंतजामों को रिव्यू किया। इसके बाद इन इलाकों में पुलिस का मूवमेंट बढ़ा दिया गया। खास तौर पर उन इलाकों में पुलिस की चौकसी बढ़ाई गई है जहां 1980 में दंगे का सर्वाधिक प्रभाव हुआ था। लोकल इंटेलिजेंस यूनिट को एक्टिवेट करते हुए संवेदनशील इलाकों में लगातार नजरें बनाए रखने के निर्देश दिए गए हैं। इन इलाकों में सादा कपड़ों में भी पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया है। SSP हेमराज मीणा ने संबंधित थानों की पुलिस को अपने-अपने क्षेत्रों में पैदल गश्त करने और स्थानीय लोगों से संवाद बनाए रखने के निर्देश दिए हैं।


इसके अलावा मुरादाबाद से सटे संभल जिले में भी पुलिस को अलर्ट मोड पर रखा गया है। 1980 के दंगों के वक्त संभल भी मुरादाबाद जिले का ही हिस्सा था। संभल शहर मुरादाबाद जिले की एक तहसील हुआ करता था। उस वक्त संभल में भी बड़े पैमाने पर हिंसा की घटनाएं हुई थीं। इस दंगे के बाद संभल में एडीएम प्रशासन और अपर पुलिस अधीक्षक संभल के पद सृजित किए गए थे। इन दोनों अधिकारियों को संभल तहसील पर ही कैंप करने के आदेश थे। बाद में इनके निवास भी वहीं बना दिए गए थे।

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