वाशिंगटन (ईएमएस)। डायबिटीज आजकल एक आम बीमारी बन गई है, और लोग टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज के बारे में अच्छी तरह जानते हैं। लेकिन हाल ही में एक और प्रकार की डायबिटीज, जिसे टाइप-3 सी कहा जाता है, धीरे-धीरे बढ़ रही है। यह बीमारी टाइप 1 और टाइप 2 से कहीं अधिक खतरनाक है, क्योंकि इसका जल्दी पता लगाना मुश्किल होता है और यह धीरे-धीरे शरीर को नुकसान पहुंचा सकती है। टाइप-3 सी डायबिटीज का मुख्य कारण पैंक्रियाज (अग्न्याशय) में गड़बड़ी होना है, जैसे कि सर्जरी, पैंक्रियाज ट्यूमर, या इससे संबंधित किसी अन्य बीमारी के कारण। जब पैंक्रियाज में समस्या होती है, तो वह इंसुलिन का उत्पादन ठीक से नहीं कर पाता, जिससे शरीर में ग्लूकोज का स्तर नियंत्रण से बाहर हो जाता है। इंसुलिन के बिना शरीर में ग्लूकोज को ऊर्जा में बदलने में कठिनाई होती है, और यही कारण है कि टाइप-3 सी के रोगी को अन्य प्रकार की डायबिटीज से अलग परेशानियां होती हैं।
यह बीमारी तब होती है जब पैंक्रियाज को कोई शारीरिक क्षति या बीमारी होती है, जिससे वह पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन और पाचन एंजाइम का उत्पादन नहीं कर पाता। पैंक्रियाज के बिना यह शरीर में खाने को पचाने के लिए जरूरी एंजाइम का उत्पादन नहीं कर पाता, जिससे पाचन क्रिया भी प्रभावित होती है। टाइप-3 सी डायबिटीज के लक्षण अक्सर धीरे-धीरे दिखते हैं, और मरीज को सामान्य डायबिटीज के उपचार से राहत मिलती रहती है। इससे बीमारी का सही समय पर पता नहीं चल पाता और उपचार में देरी होती है।
इस बीमारी के कुछ सामान्य लक्षणों में वजन में अचानक कमी, पेट में दर्द, ज्यादा थकान, दस्त, गैस और हाइपोग्लाइसीमिया (लो ब्लड शुगर) शामिल हैं। अगर किसी डायबिटीज के मरीज में इन लक्षणों का अनुभव होता है, तो उन्हें तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। इसके अतिरिक्त, क्रॉनिक पैनक्रियाटिस, पैनक्रियाटिक कैंसर, सिस्टिक फाइब्रोसिस और हेमोक्रोमैटोसिस जैसी बीमारियां भी टाइप-3 सी डायबिटीज का कारण बन सकती हैं।
यह बीमारी उन लोगों में अधिक पाई जाती है, जिन्हें पहले से मोटापा, उच्च रक्तचाप और डायबिटीज जैसी समस्याएं हैं। यदि टाइप-3 सी का समय रहते इलाज नहीं किया जाता है, तो इससे अंगों के खराब होने का खतरा बढ़ सकता है। इसलिए, यदि किसी भी व्यक्ति में इसके लक्षण दिखाई दें, तो उसे जल्द से जल्द डॉक्टर से जांच करवानी चाहिए।