जालौन । झांसी में महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के बच्चों के वार्ड में शुक्रवार की रात हुए भीषण अग्निकांड में 10 नवजात शिशुओं की मौत हो गई जबकि 16 बच्चे गंभीर रूप से झुलस गए थे। कुछ मददगारों ने अपनी हिम्मत दिखाते हुए वार्ड में भर्ती मासूमों को मौत के मुंह से बाहर निकाल लिया। लेकिन, इस अग्निकांड की आग ने हर किसी की आत्मा को झकझोर कर रख दिया है। अस्पताल गेट के बाहर चीखते-चिल्लाते परिजन अपनों से बिछड़ने का गम बर्दाश्त नहीं कर पा रहे थे। हालांकि, इस दौरान कुछ मासूम लापता हो गए जिसमें जालौन के दो बच्चें भी शामिल हैं।
दरअसल, झांसी मेडिकल कॉलेज के एसएनसीयू में शुक्रवार शाम 5 बजे भी शॉर्ट सर्किट हुआ लेकिन इसे नजरअंदाज कर दिया। इसका अंजाम यह हुआ कि रात करीब 10 बजे आग की चपेट में आने से 10 नवजात की मौत हो गई। इनमें झांसी के 4, ललितपुर के 3, हमीरपुर के 2 और जालौन का 2 मासूम है। 6 बच्चे अभी भी लापता हैं। मेडिकल कॉलेज में 16 बच्चों का इलाज चल रहा है। फिलहाल वार्ड में भर्ती इन्हीं मासूमों में से जालौन से 2 नवजात भी लापता है। जिनके परिजन उनके लौट आने का इतंजार कर रहे हैं।
बच्चें को सांस लेने में तकलीफ थी इसलिए झांसी भर्ती कराया
केस 1- जालौन जिले के रामपुरा ब्लाक के कंजौसा गांव की रहने वाली संतोषी पत्नी संतराम ने 5 नवंबर को रामपुरा सामूदायिक स्वाथ्य केंद्र में बेटे को जन्म दिया था। तब उसका वजन 4.5 किलों था इस कारण उसे सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। डॉक्टर के परामर्श के बाद उसे जिला अस्पताल उरई भेजा गया था। जहां से उसको 6 नवंबर को झांसी रेफर कर दिया गया। शुक्रवार की रात आग लगने के बाद से उसके बेटे का कहीं पता नहीं चल रहा है माता-पिता बेटे के इंतजार में अस्पताल में बैठे हुए हैं।
केस 2- इस अग्निकांड के दौरान जालौन की ही रहने वाली शांति देवी का बेटा भी लापता है। जिला महिला अस्पताल के नोडल अधिकारी एसके पाल ने बताया कि इलाज के लिए उसे महिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इसके बाद उसे भी झांसी रेफर कर दिया गया था। फिलहाल अभी तक कोई आधिकारिक तौर पर मिलने की पुष्टि नहीं हुई है। फिलहाल, मां शांति बेटे से मिलने को बेताब नजर आ
रही है।