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ज्ञानवापी परिसर सर्वे मामले में 25 जुलाई को सुनवाई, जानिए अब तक क्या-क्या हुआ…

प्रयागराज,   (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट मे ज्ञानवापी परिसर का भारतीय पुरातत्व विभाग से सर्वे कराने के वाराणसी की अदालत के आदेश व सिविल वाद की वैधता को लेकर दाखिल याचिकाओं की 14 जुलाई को होने वाली सुनवाई अब 25 जुलाई को होगी।

न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने यह आदेश स्वयंभू आदि विश्वेश्वर नाथ मंदिर के अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी की सुनवाई टालने की अर्जी को स्वीकार करते हुए दिया है।

इससे पहले कोर्ट ने दोनों पक्षों की बहस पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया था और फैसला आने तक सर्वे कराने के वाराणसी की अदालत के आदेश पर लगी रोक बढ़ा दी थी। फैसला लिखाते समय कोर्ट ने कुछ विंदुओं पर पक्षकारों के अधिवक्ता से स्पष्टीकरण के लिए फिर से सुनवाई का आदेश दिया था।

सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड व अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने याचिकाएं दाखिल की है। याचियों की तरफ से बहस की गई थी कि प्लेसेस आफ वर्शिप एक्ट 1991 की धारा 4 के तहत सिविल वाद पोषणीय नहीं है। स्थापित कानून हैं कि कोई आदेश पारित हुआ है और अन्य विधिक उपचार उपलब्ध नहीं है तो अनुच्छेद 227 के अंतर्गत याचिका में चुनौती दी जा सकती है।

विपक्षी मंदिर पक्ष का कहना था कि भगवान विश्वेश्वर स्वयं भू भगवान है। वह प्रकृति प्रदत्त है।मानव द्वारा निर्मित नहीं है। उन्होंने इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के एम सिद्दीकी बनाम महंत सुरेश दास व अन्य केस के फैसले का हवाला दिया था। उन्होंने कहा मूर्ति स्वयं भू प्राकृतिक है। इसलिए प्लेसेस आफ वर्शिप एक्ट की धारा 4 इस मामले में लागू नहीं होगी। कहना था कि आदेश 7 नियम 11 सिविल प्रक्रिया संहिता की अर्जी वाद के तथ्यों पर ही तय होगी। सिविल वाद में लिखा है कि स्वयं भू विश्वेश्वर नाथ मंदिर सतयुग से है। 15 अगस्त 1947 से पहले और बाद में लगातार निर्बाध रुप से पूजा की जा रही है।

याची का यह कहना कि कोई स्वयं भू भगवान सतयुग में नहीं था। इसका निर्धारण साक्ष्य से ही हो सकता है। यह भी तर्क था कि वाराणसी अदालत के आदेश के खिलाफ याची की पुनरीक्षण अर्जी खारिज हो चुकी है। कोर्ट ने आपत्ति को पोषणीय नहीं माना।इस आदेश के खिलाफ अनुच्छेद 227 मे याचिका पोषणीय नहीं है। याचिका खारिज की जाय।

कोर्ट ने दोनों पक्षों की लंबी चली बहस के बाद सभी विचाराधीन याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित कर लिया था। कुछ मुद्दों को स्पष्ट करने के लिए फिर से सुनवाई हुई। कोर्ट ने कुछ मुद्दों पर सवालों के जवाब लिए। परन्तु समयाभाव के कारण सुनवाई पूरी नहीं हो सकी थी और अगली सुनवाई की तिथि 14 जुलाई नियत की गई थी।

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