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ज्ञानवापी और विश्वेश्वर मंदिर विवाद मामले में फैसला सुरक्षित, जानिए अब तक क्या-क्या हुआ…

– वैज्ञानिक सर्वे को लेकर याचिका दाखिल, चीफ जस्टिस ने शुरू की सुनवाई

प्रयागराज,  (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद और विश्वेश्वर मंदिर विवाद मामले में फैसला सुरक्षित कर लिया है। कोर्ट अब 28 अगस्त को अपना फैसला सुनाएगी। वहीं दूसरी ओर चीफ जस्टिस की कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मुस्लिम पक्ष की ओर से एएसआई सर्वे कराने के खिलाफ दाखिल याचिका पर मंगलवार शाम सवा चार बजे से सुनवाई शुरू की। सुनवाई पौने पांच बजे तक चली। कोर्ट बुधवार को सुबह साढ़े 9 बजे से फिर सुनवाई करेगी।

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद ज्ञानवापी परिसर में सर्वे कराये जाने के मामले याचिका दाखिल हो गई है। सम्भावना जताई जा रही थी कि कोर्ट आज ही मामले में सुनवाई कर ले। चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर मामले की सुनवाई कर रहे हैं।

ज्ञानवापी में एएसआई सर्वे पर रोक लगाने के लिए मुस्लिम पक्ष ने मंगलवार को हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। वहीं, सोमवार को हिंदू पक्ष ने भी इस मामले में कैविएट दाखिल की थी।

मालूम हो कि जिला जज ने ज्ञानवापी विवादित परिसर का एएसआई सर्वे का आदेश दिया था। जिसके खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने सीधे सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सुनवाई करते हुए 26 जुलाई तक सर्वे पर रोक लगा दी है। मस्जिद इंतजामिया कमेटी ने आर्टिकल 227 के तहत वाराणसी जिला जज के 21 जुलाई के सर्वे के आदेश को चुनौती दी है।

वहीं, ज्ञानवापी से जुड़े लंबित मामलों की भी सुनवाई मंगलवार को हुई। सर्वे और सिविल वाद की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई हुई। सिविल वाद की पोषणीयता पर हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है। अब 28 अगस्त को कोर्ट फैसला सुनाएगी।

मसाजिद इंतजामिया कमेटी और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने ये याचिकाएं दाखिल की हैं। मुस्लिम पक्ष की याचिका से पहले सोमवार को हिंदू पक्ष की वादी राखी सिंह ने हाईकोर्ट में कैविएट दाखिल की थी। अपनी कैविएट में राखी ने हाईकोर्ट से आग्रह किया कि अगर अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी वाराणसी कोर्ट के 21 जुलाई के आदेश यानी ज्ञानवापी परिसर सर्वे के आदेश को चुनौती देने के लिए उनके पास आती है, तो याचिकाकर्ता को सुने बिना अपना फैसला न दिया जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि 26 जुलाई की शाम 05 बजे तक कोई सर्वे न किया जाए। इस दौरान अगर मस्जिद कमेटी चाहे, तो वाराणसी कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जा सकती है। फिलहाल सर्वे को लेकर मामला एक बार फिर हाईकोर्ट में पहुंच गया है। रिपोर्ट में दावा किया गया था कि परिसर में शेषनाग की आकृति के अलावा खंडित देव विग्रह, मंदिर का मलबा, हिंदू देवी-देवताओं और कमल की आकृति, शिलापट्ट मिले हैं। यह रिपोर्ट स्टेट ट्रेजरी के लॉकर में सुरक्षित रखी गई है।

मस्जिद की इंतजामिया कमेटी और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने इस आदेश के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है। यही नहीं, सिविल वाद की वैधता को लेकर भी इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल है।

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