-इटली साथ छोड़कर भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप कॉरिडोर बनाये जाने की परियोजना में हुआ शामिल
नई दिल्ली (ईएमएस)। जी-20 शिखर सम्मेलन में मोदी और बाइडेन ने मिलकर चीन को ऐसा घेरा कि उसकी हर चाल नाकाम साबित हुई। जिनपिंग की उस समय हालत खराब हो गई जब इटली ने चीन की महत्वाकांक्षी परियोजना बीआरआई से हटने की घोषणा की। इस परियोजना पर चीन अब तक अरबों डॉलर खर्च कर चुका है। यही नहीं, चीन की सांस तब और उखड़ने लग गयी जब उसे यह पता चला कि इटली उसका साथ छोड़ कर भारत के साथ चला गया है। बता दें कि भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप कॉरिडोर बनाये जाने की जो घोषणा की गयी है उसमें इटली भी शामिल है।
इस कॉरिडोर का ऐलान होने से भी चीन परेशान हो गया है। उसे समझ नहीं आ रहा है कि वह आखिर करे तो क्या करे। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने जी20 सम्मेलन में खुद आने की बजाय अपने प्रधानमंत्री ली क्विंग को भेज दिया। ली क्विंग चूंकि वैश्विक मुद्दों का सामना करने के मामले में नये हैं इसलिए वह कुछ नहीं कर पा रहे हैं। लेकिन उन्होंने जी20 से इतर इटली की प्रधानमंत्री से मुलाकात कर उन्हें समझाने की कोशिश की। एक तरफ जैसे ही चीनी प्रधानमंत्री ने इतालवी प्रधानमंत्री से मुलाकात की तो भारत ने भी मौका नहीं गंवाया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इतालवी प्रधानमंत्री से मुलाकात कर दोनों देशों के साझा हितों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की। दूसरी ओर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत-पश्चिम एशिया और यूरोप कॉरिडोर के ऐलान के समय चीन को इशारों इशारों में चेतावनी दे डाली है कि ऐसे प्रोजेक्टों पर काम करते समय दूसरे देशों की अखंडता और संप्रभुता का सम्मान करना चाहिए। यही नहीं चीन की परेशानी बढ़ाते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा है कि शी जिनपिंग के नहीं आने का कोई फर्क नहीं पड़ा और शिखर सम्मेलन अच्छे से चल रहा है। जहां तक चीनी और इतालवी प्रधानमंत्री की मुलाकात की बात है तो चीन के प्रधानमंत्री ली क्विंग ने शनिवार को जी20 शिखर सम्मेलन से इतर अपनी इतालवी समकक्ष जॉर्जिया मेलोनी से मुलाकात कर द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा की।
चीन की महत्वाकांक्षी परियोजना बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) से हटने की इटली की योजना के बीच दोनों की मुलाकात हुई है। इटली का मानना है कि परियोजना अपेक्षित परिणाम नहीं ला पाई है। मेलोनी ने नयी दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन में चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के जगह शामिल हुए ली से मुलाकात के दौरान अपने देश में निवेश और व्यापार करने के लिए निष्पक्ष, न्यायसंगत और गैर-भेदभावपूर्ण कारोबारी माहौल प्रदान करने का वादा किया। जी-20 शिखर सम्मेलन के मौके पर ली-मेलोनी की बैठक इसलिए महत्वपूर्ण रही क्योंकि इतालवी सरकार ने खुले तौर पर बीआरआई से हटने की इच्छा व्यक्त की है। क्योंकि चीन की अरबों डॉलर की बुनियादी ढांचा परियोजना से उसे कोई लाभ नहीं हुआ है।