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जानें मरने के बाद आपकी आत्मा के साथ क्या होगा ?

कल्पनाओं से भरे इस सवाल का जवाब कहीं और नहीं बल्कि हमारे धर्म शास्त्रों में से एक गरुण पुराण में दिया गया है….

जिसमें बताया गया है कि जिस समय किसी की मृत्यु होने वाली होती है उस समय वो बोलने की बहुत कोशिश करता लेकिन बोल नहीं पाता। कहा तो यह भी जाता कि बढ़ते समय के साथ उनकी बोलने, सुनने की शक्ति खत्म होती जाती है। और तो और उस समय शरीर से अंगूठे के बराबर आत्मा निकलती है, जिसे कोई और नहीं बल्कि खुद यमदूत पकड़कर यमलोक ले जाते हैं।

इतना ही नहीं मरते समय आत्मा शरीर के नौ और द्वारों में से किसी से भी शरीर छोड़ सकती है।

लेकिन सोचने वाली बात है कि आपके शरीर की आखिर वो कौन सी जगह हैं….

दोस्तों, यह नौ द्वार दोनों आखें, दोनों कान, दोनो नासिका, मुंह या फिर उत्सर्जन अंग हैं।

जिसने अपना पूरा जीवन सिर्फ अपने और अपने परिवार के लिए ही सोचा हो, जन कल्याण नहीं किया और सिर्फ पैसे कमाने में ही लगा रहता है उसके प्राण उत्सर्जन अंग से निकलते हैं….

कहा जाता कि यह वो लोग भी होते जिनके मन में हमेशा गंदे विचार ही रहते हैं… ऐसे लोग की जब मृत्यु आती है तब यम दूतों को देखते हैं वो घबरा जाते हैं और उनके प्राण नीचे की ओर सरकने लगते हैं…. इसके बाद प्राण वायु नीचे के रास्ते से निकल जाती है….

प्राण वायु के साथ अंगूठे के आकार का एक अदृश्य जीव निकलता है…. यमराज के दूत उसके गले में पाश बांध देते हैं और अपने साथ यमलोक लेकर जाते हैं. इस तरह की मृत्यु पापी व्यक्ति की मानी जाती है।

वहीं जो लोग दुनिया की मोह माया में फंसे रहते हैं और उनके अंदर जीने की तमन्ना बहुत ज्यादा होती है….इसके साथ ही परिजनों की ओर भी मोह ज्यादा होता है। ऐसे लोगों की जब मौत पास आती है तब उनकी आंखें काम करना बंद कर देती हैं साथ ही साथ कान से सुनाई देना भी बंद हो जाता है और वो चाहकर भी किसी से कुछ बोल नहीं पाता।

ऐसे लोग परिवार से जुड़े मोह के धागों के चलते अपने प्राण नहीं छोड़ना चाहते। जिसके बाद यमराज के दूत को आंखों से बलपूर्वक उनके प्राण निकालने पड़ते हैं…. जिसकी वजह से उनकी आंखें उलट जाती हैं।

दोस्तों, गरुण पुराण में उन लोगों की मौत के बारे में भी बताया गया है जो आजीवन धर्म के रास्ते पर चलते हैं….

आपने कई बार देख होगा की मौत के बाद कई शव के मुंह टेढ़े हो जाते हैं… बता दें ऐसा उन लोगों के साथ होता जिनके प्राण मुंह से निकलते हैं… इसको बहुत ही शुभ माना जाता है। इसके साथ ही इन लोगों को यमलोक में कष्ट नहीं भोगना पड़ता।

वहीं शास्त्रों में नाक से प्राणों का निकलना भी बहुत शुभ बताया गया है। गरुड़ पुराण के मुताबिक इस तरह से उन्हीं लोगों के प्राण निकलते हैं, जिन्होंने परिवार में रहते हुए सारे फर्ज निभाए हों और मन को वैरागी भी बना लिया हो।

वहीं अगर हम मौत से पहले की बात करें तो बता दें…. उससे पहले आत्मा शरीर से निकलकर कुछ देर तक बेहोशी की हालत में रहती है। आत्मा को इस तरह लगता जैसे कोई बहुत मेहनत करके थका हुआ हो और गहरी नींद में हो लेकिन कुछ पल में यह अचेत से सचेत हो जाती है और उठकर खड़ी हो जाती है।

और तो और जब शरीर से आत्मा निकलती है तब शरीर को कुछ समय तक कुछ पता ही नहीं चलता है कि वह शरीर से अलग है। वह उसी तरह व्यवहार करती है जैसे शरीर में रहते हुए उसका व्यवहार था।

जिसके बाद आत्मा अपने सगे संबंधियों को आवाज देती है पर वो सुन नहीं पाते। जिसके चलते आत्मा को बेचैनी और छटपटाहट होने लगती है। वो परेशान होकर सभी लोगों से कुछ कहना चाहती है पर उसकी आवाज बस उस तक ही गूंजकर रह जाती है क्योंकि वह भौतिक नहीं अभौतिक आवाज होती है और मनुष्य केवल भौतिक चीजों को ही महसूस कर सकता है।

इतना ही नहीं शरीर के मृत हो जाने पर आत्मा अपने परिजनों को रोते बिलखते देखकर दुखी होती है और खुद भी दुख से परेशान होकर रोती है लेकिन उसके वश में कुछ नहीं होता वह लाचार होकर सब कुछ देखने और अपने जीवन काल में किए कर्मों को याद करके दुखी होती है।

जिसके बाद यम के दूत आत्मा से कहते हैं कि चलो अब यहां से चलने का समय आ गया है और कर्मों के अनुसार उसे लेकर यममार्ग की ओर चल पड़ते हैं।

इतनी ही नहीं मौत के आगे के सफर के बार में भी गरुण पुराण में बताया गया है…

कहा जाता है कि मृत्यु के बाद मनुष्य के कर्मों के हिसाब उसे स्वर्ग या नरक मिलता है। सबसे पहले मृत्यु के बाद आत्मा को यमदूत केवल 24 घंटों के लिए ही यमलोक ले जाते हैं और इन 24 घंटों के दौरान आत्मा को उसके द्वारा किए गए सभी पाप और पुण्य दिखाए जाते हैं।

इसके बाद उस आत्मा को फिर से वहीं छोड़ दिया जाता है जहां उसने अपने प्राणों का त्याग किया था और अगले 13 दिनों तक आत्मा वहीं रहती है। जब उस आत्मा के धरती पर 13 दिन बीत जाते हैं तब उसे वापस यमलोक ले जाया जाता है।

यही नहीं मृत्यु के बाद जीवात्मा को यमलोक के मार्ग में कई तरह की बाधाओं का सामना करना पड़ता है। जो अच्छी आत्माएं होती उन्हें इस बाधाओं से कोई फर्क नहीं पड़ता वहीं बुरी आत्माओं को कई प्रकार की यातनाओं का सामना करना पड़ता…

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